व्यवसाय किसी भी देश की रीढ़ (Backbone) होती है क्योंकि व्यवसाय देश को चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन व्यवसाय चलाना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है, इसीलिए शासी प्राधिकरण (Governing Authority) ने इसे आसान बनाने के लिए कई व्यवसाय रूप प्रदान किए हैं जिनमें साझेदारी फर्म भी शामिल हैं। जो कोई भी व्यवसाय शुरू करना चाहता है वह अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी व्यवसाय रूप का उपयोग कर सकता है लेकिन सभी संबंधित औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है।
जो कोई भी अकेले व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहता है, वह साझेदारी फर्म शुरू कर सकता है। साझेदारी फर्म बहुत सारे फायदे प्रदान करती है और साझेदारी फर्म का गठन आसान है, लेकिन एकल स्वामित्व व्यवसाय की तुलना में नहीं। साझेदारी फर्म दो तरीकों से बनाई जा सकती है, एक पंजीकरण द्वारा और दूसरा गैर-पंजीकरण द्वारा, दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। एकल स्वामित्व के बाद साझेदारी फर्म सबसे आम रूप है।
Table of Contents
साझेदारी फर्म (Partnership Firm) क्या है?
साझेदारी फर्म का मतलब (Meaning of Partnership Firm)
साझेदारी फर्म एक व्यवसायिक रूप है और यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक संबंध और समझौता है, लेकिन इसमें व्यक्तियों की अधिकतम सीमा होती है। साझेदारी फर्म साझेदारी विलेख (Partnership Deed) द्वारा बनाई जाती है जिसमें वे सभी नियम और शर्तें होती हैं जिनके अनुसार व्यवसाय चलाया जाना है। यदि साझेदारी विलेख मौजूद नहीं है तो सामान्य नियम लागू होते हैं।
साझेदारी फर्म पंजीकृत और अपंजीकृत हो सकती है। यदि साझेदारी विलेख रजिस्ट्रार द्वारा पंजीकृत है तो इसे पंजीकृत साझेदारी फर्म कहा जाता है और यदि पंजीकृत नहीं है तो इसे अपंजीकृत साझेदारी फर्म कहा जाता है।
साझेदारी फर्म अलग-अलग देशों में अलग-अलग कानूनों द्वारा शासित होती हैं जैसे भारत में यह भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932* द्वारा शासित होती है, यूनाइटेड किंगडम में यह भागीदारी अधिनियम 1890* द्वारा शासित होती है, संयुक्त राज्य में समान भागीदारी अधिनियम (UPA)* द्वारा शासित होती है, आदि। विभिन्न देशों में अलग-अलग कानूनों के कारण, साझेदारी फर्म के लिए नियम और शर्तें अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन मूल आधार एक ही रहता है।
साझेदारी फर्म की परिभाषा (Definition of Partnership Firm)
भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 4 के अनुसार – “साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का संबंध है जो सभी या उनमें से किसी एक द्वारा किए गए व्यवसाय के मुनाफे को साझा करने के लिए सहमत हुए हैं।”
According to Section 4 of the Indian Partnership Act, 1932 – “Partnership is the relation between persons who have agreed to share the profits of a business carried on by all or any one of them acting for all.”
जे.एल.हैन्सन के अनुसार – “साझेदारी व्यवसाय संगठन का एक रूप है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति (अधिकतम बीस तक) किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि करने के लिए एक साथ जुड़ते हैं”।
According to J. L. Hanson – “a partnership is a form of business organization in which two or more persons (up to a maximum of twenty) join together to undertake some form of business activity”.
एल एच हैनी के अनुसार – “साझेदारी उन व्यक्तियों के बीच का संबंध है जो अनुबंध करने में सक्षम हैं तथा जो निजी लाभ की दृष्टि से एक वैध व्यवसाय को साझा रूप से चलाने के लिए सहमत हुए हैं।”
According to L H Haney – “Partnership is the relation between persons competent to make contracts who have agreed to carry on a lawful business in common with a view to private gain.”
साझेदारी अधिनियम, 1890 (यू.के.) के अनुसार – “साझेदारी वह संबंध है जो लाभ की दृष्टि से साझा व्यवसाय चलाने वाले व्यक्तियों के बीच विद्यमान होता है।”
According to the Partnership Act, 1890 (UK) – “Partnership is the relation which subsists between persons carrying on a business in common with a view of profit.”
साझेदारी फर्म की विशेषताएं (Features of Partnership Firm)
साझेदारी फर्म की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. भागीदार (Partner):
साझेदारी फर्म में सदस्यों को साझेदार/भागीदार कहा जाता है और इसे बनाने के लिए कम से कम दो भागीदारों की आवश्यकता होती है। भागीदारों की अधिकतम संख्या की एक सीमा होती है जो शासन प्राधिकरण निर्धारित करती है। साझेदारी फर्म में, यदि भागीदार चाहें तो वे एक नया भागीदार भी शामिल कर सकते हैं।
2. समझौता (Agreement):
साझेदारी फर्म साझेदारों के बीच का एक समझौता है और साझेदारी फर्म में इसे साझेदारी विलेख कहा जाता है। साझेदारी विलेख में वे सभी नियम और शर्तें शामिल होती हैं जिनके अनुसार व्यवसाय चलाया जाना है। यदि व्यवसाय में साझेदारी विलेख अनुपस्थित है तो सामान्य नियम लागू होता है, भले ही एक भागीदार ने अधिक निवेश किया हो।
3. बंटवारे (Sharing):
इसमें लाभ और हानि को साझेदारी विलेख में निर्धारित अनुपात के अनुसार भागीदारों के बीच बांटा जाता है। साझेदारी विलेख को तैयार करते समय साझाकरण अनुपात को भी निर्धारित किया जाता है। आमतौर पर साझाकरण अनुपात भागीदारों के निवेश के हिसाब से तय होता है। ध्यान दें: यदि साझेदारी विलेख न हो तो लाभ और हानि को सभी भागीदारों में बराबर बांटा जाता है, भले ही किसी ने कम या ज़्यादा निवेश किया हो।
4. पंजीकरण (Registration):
साझेदारी फर्म को पंजीकरण के माध्यम से या बिना पंजीकरण के भी स्थापित किया जा सकता है, यह पूरी तरह से साझेदारों पर निर्भर करता है। साझेदारी फर्म को पंजीकृत करने या न करने के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। यदि शासन प्राधिकरण (Governing Authority) ने कोई दिशा-निर्देश जारी किए हैं, तो उनका पालन करना अनिवार्य है।
5. असीमित दायित्व (Unlimited Liability):
साझेदारी फर्म में साझेदारों का दायित्व असीमित होता है। यदि फर्म की संपत्तियां ऋण चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं तो साझेदारों की व्यक्तिगत संपत्तियों का उपयोग ऋण चुकाने के लिए किया जाता है। यदि साझेदारी विलेख उपलब्ध है तो साझेदार अपने निर्धारित अनुपात के अनुसार उत्तरदायी होते हैं और यदि साझेदारी विलेख उपलब्ध नहीं है तो सभी साझेदारों का दायित्व बराबर हो जाता है।
6. विघटन (Dissolution):
जब किसी साझेदार की मृत्यु हो जाती है या कोई नया साझेदार शामिल हो जाता है या मौजूदा लाभ-साझाकरण अनुपात बदल जाता है या कोई साझेदार सेवानिवृत्त हो जाता है या कोई साझेदार दिवालिया हो जाता है या साझेदारी की अवधि समाप्त हो जाती है आदि तो साझेदारी फर्म विघटित हो जाती है। यदि साझेदार चाहें तो वे आपसी सहमति से भी साझेदारी फर्म को विघटित कर सकते हैं।
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QNA/FAQ
Q1. साझेदारी फर्म क्या है?
Ans: साझेदारी फर्म एक व्यवसायिक रूप है और यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक संबंध और समझौता है।
Q2. क्या साझेदारी फर्म का पंजीकरण अनिवार्य है?
Ans: नहीं, साझेदारी फर्म का पंजीकरण वैकल्पिक (Optional) है।
Q3. साझेदारी फर्म कैसे बनाई जाती है?
Ans: साझेदारी फर्म का गठन साझेदारी विलेख द्वारा किया जाता है।
Q4. क्या साझेदारी फर्म बनाने के लिए साझेदारी विलेख अनिवार्य है?
Ans: नहीं, साझेदारी फर्म बनाने के लिए साझेदारी विलेख अनिवार्य नहीं है, लेकिन यदि साझेदारी विलेख अनुपस्थित है तो सामान्य नियम लागू होगा।
Q5. साझेदारी फर्म बनाने के लिए कितने न्यूनतम सदस्य की आवश्यकता है?
Ans: दो
Q6. क्या साझेदारों का दायित्व असीमित है?
Ans: हां, साझेदारों का दायित्व असीमित है।
Q7. साझेदारी फर्म कब विघटित होती है?
Ans: साझेदारी फर्म तब विघटित हो जाती है जब:
1. किसी भागीदार की मृत्यु हो जाती है, या
2. कोई नया भागीदार जुड़ता है, या
3. मौजूदा लाभ-साझाकरण अनुपात बदल जाता है, या
4. कोई भागीदार सेवानिवृत्त हो जाता है, या
5. कोई भागीदार दिवालिया हो जाता है, या
6. साझेदारी की अवधि समाप्त हो जाती है, या
7. जब भागीदारों की आपसी सहमति होती है, आदि।
Q8. साझेदारी फर्म की विशेषताएँ लिखिए।
Ans: साझेदारी फर्म की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. इसमें दो या दो से अधिक भागीदार होते हैं।
2. यह भागीदारों के संबंधों का परिणाम है।
3. यह साझेदारी विलेख द्वारा बनता है।
4. इसमें भागीदार आपस में लाभ-हानि साझा करते हैं।
5. इसमें कोई निरंतरता नहीं होती है।
6. इसमें भागीदारों का दायित्व असीमित होता है।
7. इसे पंजीकृत करवाना आवश्यक नहीं है।
8. इसमें कम से कम दो सदस्य होने चाहिए।
9. इसमें नए भागीदार शामिल किए जा सकते हैं।
10. इसमें भागीदारों की अधिकतम संख्या की सीमा होती है।