साझेदारी दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच का रिश्ता है, जब साझेदारी के साथ व्यापार शुरू किया जाता है तो साझेदारों के बीच एक समझौता होता है, साझेदारी फर्म में उसी समझौते को साझेदारी डीड कहा जाता है। साझेदारी डीड पंजीकृत और गैर पंजीकृत हो सकता है, यह पूरी तरह से भागीदारों पर निर्भर करता है क्योंकि साझेदारी कानून (Partnership Law) पंजीकरण के लिए बाध्य नहीं करता है। साझेदारी डीड के पंजीकरण और गैर पंजीकरण के अपने फायदे और नुकसान हैं।
Table of Contents
साझेदारी डीड (Partnership Deed) क्या है?
साझेदारी डीड का अर्थ (Meaning of Partnership Deed)
साझेदारी डीड साझेदारों के बीच नियम और शर्तों को बताते हुए एक समझौता है और इस पर सभी साझेदारों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
सरल भाषा में कहें तो साझेदारी डीड साझेदारों के बीच एक समझौता है। इसमें वह सब कुछ लिखा होता है जो किसी व्यवसाय को चलाने के लिए आवश्यक होता है जैसे व्यवसाय की प्रकृति क्या होगी, व्यवसाय में कौन कितना हिस्सा लेगा आदि।
साझेदारी डीड की परिभाषा (Definition of partnership deed)
एरिक एल. कोहलर के अनुसार – “साझेदारी डीड फर्म के विभिन्न नियमों और विनियमों को परिभाषित करने के लिए भागीदारों द्वारा तैयार और हस्ताक्षरित एक उपकरण है।”
According to Eric L. Kohler – “Partnership deed is an instrument drafted and signed by partners for defining the various rules and regulations of the firm.”
साझेदारी विलेख की सामग्री/तत्व (Contents/elements of Partnership Deed)
साझेदारी डीड की सामग्री/तत्व निम्नलिखित हैं:
1. फर्म का नाम (Name of the Firm):
जिस नाम के तहत साझेदार व्यवसाय करना चाहते हैं उसका उल्लेख साझेदारी विलेख में किया जाता है।
2. व्यवसाय स्थल (Place of Business):
इस खंड में व्यवसाय के उस स्थान का उल्लेख किया जाता है जहां व्यवसाय संचालित किया जाएगा।
3. साझेदारों का विवरण (Details of Partners):
इस खंड में, साझेदारों का विवरण दिया जाता है जैसे साझेदारों का नाम, साझेदारों का पता आदि।
4. व्यवसाय की प्रकृति (Nature of Business):
इस खंड में, फर्म के भागीदारों को यह बताना होगा कि वे किस प्रकार का व्यवसाय चलाएंगे।
5. साझेदारी की अवधि (Duration of Partnership):
साझेदारों को यह बताना होगा कि वे कितने समय तक व्यवसाय चलाना चाहते हैं। उदाहरण के लिए अल्पकालिक अवधि, दीर्घकालिक अवधि, आदि।
6. लाभ साझाकरण अनुपात (Profit Sharing Ratio):
साझेदारों को पारस्परिक लाभ-साझाकरण अनुपात निर्दिष्ट करना होगा। लाभ-हानि का निर्धारण लाभ-बंटवारे अनुपात के अनुसार किया जाता है। अनुपात जितना अधिक होगा, लाभ या हानि उतनी ही अधिक होगी।
7. साझेदार ऋण (Partners Loan):
साझेदार को साझेदारी विलेख में यह बताना होगा कि यदि कोई साझेदार व्यवसाय को ऋण देता है या व्यवसाय से ऋण लेता है तो उस पर कितनी ब्याज दर लागू होगी।
8. साझेदार आहरण (Partner Drawings):
आहरण का अर्थ है साझेदारों द्वारा निजी उपयोग के लिए व्यवसाय से निकाली गई राशि। साझेदारों को यह उल्लेख करना होगा कि आहरण लागू है या नहीं और यदि लागू है, तो सीमा निर्दिष्ट करनी होगी।
9. आहरण पर ब्याज (Interest in Drawing):
साझेदारों को यह निर्दिष्ट करना होगा कि निकासी पर ब्याज लागू होगा या नहीं और यदि लागू होगा तो सीमा निर्दिष्ट करना होगा।
10. पूंजी पर ब्याज (Interest on Capital):
पूंजी से तात्पर्य व्यवसाय में भागीदारों द्वारा किए गए निवेश से है। साझेदारों को यह निर्दिष्ट करना होगा कि पूंजी पर ब्याज लागू होगा या नहीं और यदि लागू हो तो सीमा निर्दिष्ट करनी होगी।
11. साझेदार का वेतन और कमीशन (Partner’s Salary and Commission):
साझेदारी फर्म के साझेदारों को यह बताना होगा कि साझेदारों को कितना वेतन, कमीशन, बोनस और फीस मिलेगी।
12. साझेदारों की शक्तियाँ, कर्तव्य (Powers, Duties of Partners):
साझेदारी डीड में साझेदारों को साझेदारों के अधिकारों एवं कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख करना होता है।
13. मध्यस्थता (Arbitration):
मध्यस्थता का मतलब है कि यदि साझेदारों के बीच कोई विवाद उत्पन्न होता है तो वे अपनी समस्या का समाधान कैसे करेंगे और मध्यस्थता में मध्यस्थ की भूमिका कौन निभाएगा। साझेदारों को साझेदारी डीड में मध्यस्थता के बारे में उल्लेख करना होगा।
ध्यान दें: ऊपर साझेदारी डीड की सामग्री का पूरी तरह से उल्लेख नहीं है।
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QNA/FAQ
Q1. साझेदारी डीड (Partnership Deed) क्या है?
Ans: साझेदारी डीड साझेदारों के बीच नियम और शर्तों को बताते हुए एक समझौता है और इस पर सभी साझेदारों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
सरल भाषा में कहें तो साझेदारी डीड साझेदारों के बीच एक समझौता है। इसमें वह सब कुछ लिखा होता है जो किसी व्यवसाय को चलाने के लिए आवश्यक होता है जैसे व्यवसाय की प्रकृति क्या होगी, व्यवसाय में कौन कितना हिस्सा लेगा आदि।
Q2. साझेदारी डीड की परिभाषा लिखिए।
Ans: एरिक एल. कोहलर के अनुसार – “साझेदारी डीड फर्म के विभिन्न नियमों और विनियमों को परिभाषित करने के लिए भागीदारों द्वारा तैयार और हस्ताक्षरित एक उपकरण है।”
According to Eric L. Kohler – “Partnership deed is an instrument drafted and signed by partners for defining the various rules and regulations of the firm.”
Q3. साझेदारी डीड की विशेषताएँ लिखिए।
Ans: साझेदारी विलेख की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. फर्म का नाम (Name of the Firm)
2. व्यवसाय स्थल (Place of Business)
3. साझेदारों का विवरण (Details of Partners)
4. व्यवसाय की प्रकृति (Nature of Business)
5. साझेदारी की अवधि (Duration of Partnership)
6. लाभ साझाकरण अनुपात (Profit Sharing Ratio)
7. साझेदार ऋण (Partners Loan)
8. साझेदार आहरण (Partner Drawings)
9. आहरण पर ब्याज (Interest in Drawing)
10. पूंजी पर ब्याज (Interest on Capital)
11. साझेदार का वेतन और कमीशन (Partner’s Salary and Commission)
12. साझेदारों की शक्तियाँ, कर्तव्य (Powers, Duties of Partners)
13. मध्यस्थता (Arbitration)