बाजार में कई तरह के व्यवसाय हैं जैसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, साझेदारी फर्म, एकल स्वामित्व, आदि और इन सभी व्यवसायों के उद्देश्य, गठन, संचालन इत्यादि एक दूसरे से भिन्न हैं। इन व्यवसायों में से स्वामी (Proprietor) का संबंध एकल स्वामित्व व्यवसाय से है।
एकल स्वामित्व व्यवसाय स्वामी (Proprietor) द्वारा चलाया जाता है और सभी औपचारिकताएँ स्वामी द्वारा ही पूरी की जाती हैं। यदि व्यवसाय में कुछ भी होता है, तो स्वामी स्वयं इसके लिए जिम्मेदार होता है और वह किसी और को घटना के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता, भले ही घटना किसी और के कारण हुई हो।
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स्वामी (Proprietor) क्या है?
स्वामी एक व्यक्ति है जो एकल स्वामित्व व्यवसाय का मालिक होता है और सभी लाभ और हानि वहन करता है। व्यवसाय में सभी कानूनी गतिविधियाँ उसके द्वारा ही की जाती हैं। व्यवसाय के प्रति स्वामी का दायित्व असीमित होता है और व्यवसाय से जो भी लाभ* कमाता है, उस पर उसे आयकर देना पड़ता है क्योंकि एकल स्वामित्व व्यवसाय में मालिक और व्यवसाय को एक ही माना जाता है।
एकल स्वामित्व व्यवसाय सबसे सरल व्यवसाय रूप होने के कारण स्वामी को कई लाभ प्राप्त होता है जैसे व्यवसाय को पंजीकृत करने की आवश्यकता नहीं होती है, व्यवसाय को कभी भी शुरू और बंद किया जा सकता है, व्यवसाय को मालिक से अलग नहीं किया जा सकता है, आदि। लेकिन स्वामी को शासी प्राधिकरण (Governing Authority) द्वारा आवश्यक होने पर व्यवसाय से संबंधित कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ सकती हैं।
स्वामी की विशेषताएं (Features of a Proprietor)
स्वामी की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. मालिक (Owner):
स्वामी एकल स्वामित्व व्यवसाय का मालिक होता है क्योंकि एकल स्वामित्व व्यवसाय में मालिक को स्वामी कहा जाता है। विभिन्न व्यवसाय रूपों में मालिक को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे साझेदारी व्यवसाय में साझेदार/भागीदार के नाम से, कंपनी में शेयरधारक के नाम से, आदि।
2. असीमित दायित्व (Unlimited Liability):
व्यवसाय में स्वामी का दायित्व असीमित होता है क्योंकि एकल स्वामित्व व्यवसाय की अवधारणा के अनुसार मालिक और व्यवसाय एक ही होते हैं। जब तक मालिक व्यवसाय का संपूर्ण दायित्व अदा नहीं कर देता, तब तक वह ऋणी रहता है और ऋण चुकाने के लिए व्यक्तिगत संपत्ति का भी उपयोग किया जाता है।
3. पूर्ण नियंत्रण (Full Control):
स्वामी का व्यवसाय पर पूरा नियंत्रण होता है क्योंकि वह व्यवसाय का एकमात्र मालिक होता है। व्यवसाय में सभी गतिविधियाँ स्वामी द्वारा स्वयं की जाती हैं और गतिविधि करने के लिए किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है। स्वामी व्यवसाय में जो चाहे कर सकता है लेकिन सीमाओं के भीतर।
4. लाभ और हानि साझा नहीं (No Profit and Loss Sharing):
स्वामी लाभ और हानि को अन्य व्यक्तियों के साथ साझा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि एकल स्वामित्व व्यवसाय की अवधारणा इसकी अनुमति नहीं देती है। व्यवसाय में जो भी लाभ होगा वह केवल मालिक का होगा और जो भी नुकसान होगा वह भी मालिक को ही उठाना होगा।
5. पूरी जिम्मेदारी (Full responsibility):
व्यवसाय में जो कुछ भी होता है उसके लिए स्वामी पूरी तरह से जिम्मेदार होता है, भले ही घटना किसी और के कारण हुई हो और स्वामी घटना के लिए किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता। इसका मुख्य कारण यह है कि एकल स्वामित्व व्यवसाय की अवधारणा के अनुसार, मालिक और व्यवसाय एक ही हैं और कोई भी अन्य व्यक्ति व्यवसाय को नहीं चला सकता है।
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QNA/FAQ
Q1. स्वामी कौन है?
Ans: स्वामी एक व्यक्ति है जो एकल स्वामित्व व्यवसाय का मालिक होता है और सभी लाभ और हानि वहन करता है।
Q2. स्वामी का दायित्व किस प्रकार का है?
Ans: स्वामी का दायित्व असीमित है।
Q3. क्या स्वामी एक मालिक है?
Ans: हां, स्वामी एकल स्वामित्व व्यवसाय का मालिक होता है।
Q4. क्या स्वामी का व्यवसाय पर पूर्ण नियंत्रण होता है?
Ans: हां, स्वामी का व्यवसाय पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
Q5. क्या स्वामी लाभ या हानि साझा करता है?
Ans: नहीं, स्वामी लाभ या हानि साझा नहीं करता है।
Q6. स्वामी की विशेषताएं लिखिए।
Ans: स्वामी की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. स्वामी एकल स्वामित्व व्यवसाय का मालिक होता है।
2. स्वामी की असीमित देयता होती है।
3. स्वामी का व्यवसाय पर पूर्ण नियंत्रण होता है।
4. स्वामी व्यवसाय में होने वाली किसी भी घटना के लिए पूरी तरह उत्तरदायी होता है।
5. स्वामी लाभ को अन्य के साथ साझा नहीं करता है।
6. स्वामी व्यवसाय के सभी घाटे को वहन करता है।