लेखांकन कार्य में त्रुटियाँ होना एक आम बात है क्योंकि इसमें कई सारे नियम, सिद्धांत, अवधारणाएँ, आदि होती हैं जिसके कारण कई बार इनका पालन नहीं हो पाता है, लेकिन इन त्रुटियों को सुधारना बहुत जरुरी होता है क्योंकि ऐसा न करने पर लेखांकन मानकों का उल्लंघन होगा और लेखांकन रिपोर्ट भी सही ढंग से तैयार नहीं हो पाएगी इसलिए त्रुटियों की सुधार की अवधारणा का प्रयोग करके लेखांकन त्रुटियों को सुधारा जाता है।
लेखांकन त्रुटियों को कैसे सुधारा जाए, इस पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन सभी राय लेखांकन मानकों के अनुसार होती हैं। आमतौर पर लेखांकन त्रुटियों को सुधारने के लिए सबसे पहले त्रुटियों का पता लगाया जाता है और फिर उन्हें उनकी प्रकृति के अनुसार विभाजित किया जाता है और फिर उनकी प्रकृति के अनुसार उन्हें सुधारा जाता है।
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लेखांकन त्रुटियों को कैसे सुधारें? (How to rectify accounting errors?)
लेखांकन त्रुटियों को कैसे सुधारें, इसका वर्णन नीचे किया गया है:
लेखांकन त्रुटियों को एक प्रक्रिया द्वारा ठीक किया जाता है जिसमें पहचान, वर्गीकरण और सुधार शामिल है और इसे त्रुटियों के सुधार की प्रक्रिया भी कहा जाता है।
1. पहचान करना (Identifying) | 2. वर्गीकृत करना (Classifying) | 3. सुधार करना (Rectifying) |
1. पहचान करना (Identifying):
इस प्रक्रिया में लेखांकन त्रुटियों का पता लगाया जाता है क्योंकि लेखांकन त्रुटियों को ठीक करने के लिए, पहले लेखांकन त्रुटियों का पता लगाना आवश्यक है। लेखांकन त्रुटियों का पता कई तरीकों से लगाया जा सकता है जैसे ऑडिट करके, खातों का मिलान करके, ट्रायल बैलेंस तैयार करके, बैलेंस शीट तैयार करके, आदि। कई त्रुटियां ऐसी होती हैं जिनका पता लगाना आसान नहीं होता और कई त्रुटियों का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
2. वर्गीकृत करना (Classifying:
एक बार त्रुटियों का पता चलने पर उन्हें उनकी प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है, जैसे कि सिद्धांत की त्रुटि, कार्य में त्रुटि, चूक की त्रुटि, क्षतिपूर्ति त्रुटि, आदि। त्रुटियों को वर्गीकृत इसलिए किया जाता है ताकि उन्हें समझा जा सके और उन्हें ठीक करने के लिए सही विधि का उपयोग किया जा सके।
3. सुधार करना (Rectifying):
जब त्रुटियों को उनकी प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है, तो उन्हें संबंधित विधि का उपयोग करके ठीक किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई लेनदेन दर्ज करना भूल गया है तो लेनदेन दर्ज किया जाता है, यदि कोई गलत राशि दर्ज की गई है तो शेष राशि के लिए जर्नल प्रविष्टि पारित की जाती है*, यदि कोई गलत खाता डेबिट या क्रेडिट हो गया है तो जर्नल प्रविष्टि की मदद से सही खाते को डेबिट या क्रेडिट किया जाता है, आदि।
यह भी पढ़ें:
- लेखांकन त्रुटियाँ (Accounting Errors) क्या हैं? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
- लेखांकन त्रुटियों का वर्गीकरण (Classification of Accounting Errors)
- त्रुटियों का सुधार (Rectification of Errors) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
- त्रुटियों के सुधार का महत्व (Importance of Rectification of Errors)
- उचंति खाता (Suspense Account) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
QNA/FAQ
Q1. क्या लेखांकन त्रुटियों को प्रक्रिया के माध्यम से ठीक किया जाता है?
Ans: हां, लेखांकन त्रुटियों को प्रक्रिया के माध्यम से ठीक किया जाता है।
Q2. लेखांकन त्रुटियों को सुधारने की प्रक्रिया में कौन-कौन से चरण शामिल हैं?
Ans: लेखांकन त्रुटियों को सुधारने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
1. पहचान करना (Identifying)
2. वर्गीकृत करना (Classifying)
3. सुधार करना (Rectifying)
Q3. लेखांकन त्रुटियों को कैसे सुधारा जाता है?
Ans: लेखांकन त्रुटियों को त्रुटियों की सुधार की अवधारणा के अनुसार सुधारा जाता है।
Q4. सुधार चरण पर क्या होता है?
Ans: सुधार चरण पर त्रुटियों को संबंधित विधियों का उपयोग करके ठीक किया जाता है।
Q5. वर्गीकरण चरण में त्रुटियों को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है?
Ans: वर्गीकरण चरण में त्रुटियों को उनकी प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।