व्यवसाय में दिन-प्रतिदिन बहुत सारे लेन-देन होते हैं और सभी लेन-देन व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण होते हैं जैसे बेचना, खरीदना, प्राप्त करना, भुगतान करना, लौटाना आदि। मानव मस्तिष्क के लिए सभी लेन-देन को याद रखना संभव नहीं है, इसीलिए सभी लेन-देन संबंधित पुस्तकों में लिखे जाते हैं ताकि बाद में उन्हें आसानी से देखा और समझा जा सके। इन सभी प्रक्रियाओं को ही हिसाब-किताब कहा जाता है।
व्यवसाय लेनदेन को कैसे प्रबंधित किया जाए यह व्यवसाय के पैमाने पर निर्भर करता है, जैसे छोटे पैमाने के व्यवसाय लेनदेन को रिकॉर्ड करने के लिए कुछ पुस्तकों का उपयोग करते हैं, उसी प्रकार बड़े पैमाने के व्यवसाय लेनदेन को रिकॉर्ड करने के लिए बहुत सारी पुस्तकों का उपयोग करते हैं, जैसे विक्रय पुस्तक का उपयोग बिक्री प्रविष्टि को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है, खरीद पुस्तक का उपयोग खरीद प्रविष्टि को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है आदि।
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हिसाब-किताब (Book-keeping) क्या है?
हिसाब-किताब का अर्थ (Meaning of Book-keeping)
हिसाब-किताब का अर्थ है व्यावसायिक लेनदेन को संबंधित पुस्तकों में व्यवस्थित रूप से दर्ज करना और यह लेखांकन प्रक्रिया का एक हिस्सा है जिसमें लेनदेन की पहचान करना, लेनदेन को मापना, लेनदेन को रिकॉर्ड करना, लेनदेन को वर्गीकृत करना, लेनदेन का सारांश बनाना आदि शामिल है।
जो हिसाब-किताब (Book-keeping) का प्रबंधन करता है उसे मुनीम कहा जाता है और उसका काम व्यापारिक लेनदेन की पहचान करने से लेकर व्यापारिक लेनदेन का सारांश तैयार करने तक होता है। कोई भी व्यक्ति मुनीम बन सकता है जो बहीखाता की अवधारणाओं और नियमों को जानता है जैसे डेबिट और क्रेडिट के नियम, विभिन्न अवधारणाओं के प्रारूप जैसे जर्नल, लेजर, ट्रेल बैलेंस, बैलेंस शीट इत्यादि।
हिसाब-किताब की परिभाषा (Definition of Book-keeping)
ए.एच. रोसेनकैम्फ के अनुसार – “हिसाब-किताब व्यावसायिक लेनदेन को व्यवस्थित तरीके से रिकॉर्ड करने की कला है।”
According to A.H. Rosenkampff – “Book-keeping is the art of recording business transactions in a systematic manner.”
आर.एन. कार्टर के अनुसार – “हिसाब-किताब उन सभी व्यावसायिक लेनदेन को खाते की पुस्तकों में सही ढंग से दर्ज करने का विज्ञान और कला है जिसके परिणामस्वरूप धन या धन के मूल्य का हस्तांतरण होता है।”
According to R.N. Carter – “Book-keeping is the science and art of recording correctly in the books of account all those business transactions that result in the transfer of money or money’s worth.”
जे.आर. बाटलीबोई के अनुसार – “हिसाब-किताब व्यापारिक लेन-देन को पुस्तकों के एक समूह में दर्ज करने की कला है।”
According to J.R. Batliboi – “Book-keeping is the art of recording business dealings in a set of books.”
हिसाब-किताब की विशेषताएं (Features of Book-keeping)
हिसाब-किताब की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. व्यवस्थित (Systematic):
हिसाब-किताब व्यवस्थित है क्योंकि यह विभिन्न नियम, अवधारणाएँ आदि प्रदान करता है जिसके अनुसार इसमें लेनदेन दर्ज किए जाते हैं। हम इसमें लेन-देन को अपनी इच्छानुसार रिकार्ड नहीं कर सकते। किसी भी लेनदेन को रिकॉर्ड करने से पहले हमें उस लेनदेन को पहचानना और मापना होगा और उसके बाद ही लेनदेन रिकॉर्ड किया जाएगा।
2. मौलिक कार्य (Fundamental Function):
हिसाब-किताब प्रबंधन का एक मौलिक कार्य है क्योंकि इसके बिना लेखांकन प्रक्रिया शुरू नहीं होती है। लेखांकन प्रक्रिया हिसाब-किताब से शुरू होती है और इसमें विभिन्न नियम जैसे डेबिट और क्रेडिट नियम आदि, और अवधारणाएँ जैसे जर्नल, लेजर इत्यादि शामिल हैं।
3. आर्थिक गतिविधि (Economic Activity):
हिसाब-किताब एक आर्थिक गतिविधि है क्योंकि यह केवल मौद्रिक लेनदेन से संबंधित है। हिसाब-किताब की पहली प्रक्रिया ही लेन-देन की पहचान करना है, इसके अंतर्गत हिसाब-किताब में केवल उन्हीं लेन-देन को शामिल किया जाता है जो व्यापार और मौद्रिक से संबंधित होते हैं।
4. सार्वभौमिक प्रक्रिया (Universal Process):
हिसाब-किताब एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है क्योंकि इसका उपयोग हर व्यवसाय द्वारा किया जाता है चाहे वह छोटे पैमाने के व्यवसाय हों या बड़े पैमाने के व्यवसाय। सभी व्यवसायों को लेनदेन को व्यवस्थित रूप से रिकॉर्ड करने के लिए हिसाब-किताब का उपयोग करना पड़ता है। लेखांकन रिपोर्टें हिसाब-किताब की सहायता से ही तैयार की जाती हैं।
5. सतत प्रक्रिया (Continuous Process):
हिसाब-किताब एक सतत प्रक्रिया है क्योंकि इसका उपयोग बार-बार किया जाता है और जब तक वस्तु मौजूद रहती है तब तक यह कभी समाप्त नहीं होती है। व्यवसाय में प्रतिदिन कई लेन-देन होते हैं और प्रत्येक लेन-देन को हिसाब-किताब की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, इसीलिए हिसाब-किताब एक सतत प्रक्रिया है।
6. साक्ष्यात्मक मूल्य (Evidential value):
हिसाब-किताब का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है क्योंकि हिसाब-किताब डेटा कानून के समक्ष मान्य होता है लेकिन कुछ डेटा का साक्ष्यात्मक मूल्य कम होता है और कुछ डेटा का साक्ष्यात्मक मूल्य अधिक होता है।
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QNA/FAQ
Q1. हिसाब-किताब (Book-keeping) क्या है?
Ans: हिसाब-किताब का अर्थ है व्यावसायिक लेनदेन को संबंधित पुस्तकों में व्यवस्थित रूप से रखना/दर्ज करना और यह लेखांकन प्रक्रिया का एक हिस्सा है जिसमें लेनदेन की पहचान करना, लेनदेन को मापना, लेनदेन को रिकॉर्ड करना, लेनदेन को वर्गीकृत करना, लेनदेन का सारांश बनाना आदि शामिल है।
Q2. क्या हिसाब-किताब व्यवस्थित है?
Ans: हाँ, हिसाब-किताब व्यवस्थित है क्योंकि यह विभिन्न नियम, अवधारणाएँ आदि प्रदान करता है जिसके अनुसार इसमें लेनदेन दर्ज किए जाते हैं।
Q3. क्या हिसाब-किताब का साक्ष्यात्मक मूल्य है?
Ans: हाँ, हिसाब-किताब का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है क्योंकि हिसाब-किताब डेटा कानून के समक्ष मान्य होता है लेकिन कुछ डेटा का साक्ष्यात्मक मूल्य कम होता है और कुछ डेटा का साक्ष्यात्मक मूल्य अधिक होता है।
Q4. क्या हिसाब-किताब सार्वभौमिक प्रक्रिया है?
Ans: हाँ, हिसाब-किताब एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है क्योंकि इसका उपयोग हर व्यवसाय द्वारा किया जाता है चाहे वह छोटे पैमाने के व्यवसाय हों या बड़े पैमाने के व्यवसाय।
Q5. हिसाब-किताब की विशेषताएँ लिखिए।
Ans: हिसाब-किताब की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. हिसाब-किताब व्यवस्थित है।
2. हिसाब-किताब प्रबंधन का मौलिक कार्य है।
3. हिसाब-किताब एक आर्थिक गतिविधि है।
4. हिसाब-किताब एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है।
5. हिसाब-किताब एक सतत प्रक्रिया है।
6. हिसाब-किताब का साक्ष्यात्मक मूल्य है।
Q6. मुनीम (Bookkeeper) कौन है?
Ans: जो हिसाब-किताब (Book-keeping) का प्रबंधन करता है उसे मुनीम कहा जाता है और उसका काम व्यापारिक लेनदेन की पहचान करने से लेकर व्यापारिक लेनदेन का सारांश तैयार करने तक होता है।