लेखांकन की प्रक्रिया (Process of Accounting)

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व्यवसाय में लेन-देन का प्रबंधन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि एक छोटी सी गलती भी लेन-देन के परिणाम को बदल सकती है। यदि व्यवसाय में बड़ी मात्रा में लेन-देन हो तो यह समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है, इसीलिए व्यवसाय में लेन-देन को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करने के लिए लेखांकन का उपयोग किया जाता है। लेखांकन में लेनदेन को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करने के लिए, कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है जिसमें लेनदेन की पहचान करना, मापना, दर्ज करना, वर्गीकृत करना, सारांशित करना, विश्लेषण करना, व्याख्या करना, संचार करना आदि शामिल हैं।

बढ़ती प्रौद्योगिकी के कारण, व्यवसाय में लेखांकन आसान हो गया है क्योंकि प्रौद्योगिकी के माध्यम से लेनदेन को जल्दी और सटीक रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, लेखांकन सॉफ़्टवेयर में जैसे ही इनपुट दर्ज किए जाते हैं, यह स्वचालित रूप से जर्नल प्रविष्टियाँ, बही खाता, ट्रायल बैलेंस, व्यापार खाता, लाभ और हानि खाता, बैलेंस शीट इत्यादि जैसे आउटपुट फॉर्म प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी का उपयोग करके, लेखांकन खर्चों को भी कम किया जा सकता है।

ध्यान दें: बढ़ती तकनीकी के कारण हाथ से काम कम होता जा रहा है।

Process of Accounting

लेखांकन की प्रक्रिया (Process of Accounting)

लेखांकन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

1. पहचान करना (Identifying):

लेन-देन की पहचान करना लेखांकन में पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया या कदम है क्योंकि लेन-देन की पहचान किए बिना लेखांकन की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है। लेन-देन की पहचान करने से अभिप्राय है मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लेनदेन, व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक लेनदेन आदि की पहचान करना, लेखांकन में केवल मौद्रिक लेनदेन शामिल होते हैं।

2. मापना (Measuring):

लेन-देन की पहचान करने के बाद अगली प्रक्रिया पहचाने गए लेन-देन को मापने की होती है। लेनदेन को मापने का मतलब है देश की मुद्रा के अनुसार लेनदेन को मापना क्योंकि हर देश की मुद्रा अलग होती है और उस मुद्रा का मूल्य भी अलग होता है। इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्य रूप से तब किया जाता है जब किसी दूसरे देश से लेनदेन किया जाता है।

3. दर्ज करना (Recording):

लेन-देन को मापने के बाद अगला कदम मापे गए लेन-देन को जर्नल की अवधारणा की सहायता से जर्नल पुस्तक में दर्ज करना है। सुविधा के लिए, जर्नल पुस्तक को विभिन्न सहायक पुस्तकों जैसे रोकड़ बही, खरीद बही, बिक्री बही, आदि में विभाजित किया गया है। संबंधित पुस्तक में सभी समान प्रकृति के लेनदेन दर्ज किए जाते हैं, जैसे बिक्री बही में सभी बिक्री लेनदेन दर्ज किए जाते हैं, उसी तरह सभी खरीद लेनदेन खरीद बही में दर्ज किए जाते हैं, आदि।

4. वर्गीकृत करना (Classifying):

वर्गीकरण का अर्थ है लेनदेन को प्रकृति या खाते के अनुसार विभाजित करना। जर्नल पुस्तक में लेनदेन को दर्ज करने के बाद अगला कदम जर्नल पुस्तक में दर्ज किए गए लेनदेन को बही खातों में वर्गीकृत करना है। प्रत्येक खाते या प्रकृति के लिए अलग बही खाते बनाया जाता है और संबंधित लेन-देन को संबंधित बही खातों में दर्ज किया जाता है।

5. सारांश करना (Summarising):

लेन-देन को बही खातों में वर्गीकृत करने के बाद अगला कदम बही खातों के डेटा को विभिन्न रूपों में परिवर्तित (सारांशित) करना है। इसमें ट्रायल बैलेंस, आय/वित्तीय विवरण (जैसे; व्यापार खाता, लाभ और हानि खाता, बैलेंस शीट, आदि) आदि शामिल हैं। यह चरण व्यावसायिक स्थितियों को समझने में मदद करता है क्योंकि सभी आवश्यक रिपोर्ट्स इसी चरण के में तैयार की जाती हैं, जैसे ट्रायल बैलेंस, आय/वित्तीय विवरण, आदि। मुनीम (Bookkeepers) का काम यहीं समाप्त हो जाता है।

6. विश्लेषण करना (Analysing):

बही खाता डेटा को सारांशित करने के बाद अगला कदम ट्रायल बैलेंस, आय/वित्तीय विवरण इत्यादि जैसे सारांशित रूपों का विश्लेषण करना है। विश्लेषण करके व्यवसाय के बारे में अधिक जान सकते हैं जैसे व्यवसाय की स्थिति क्या है, व्यवसाय की ताकत और कमजोरियां क्या हैं, व्यवसाय को कैसे और क्या करके बढ़ाया जा सकता है, आदि।

लेखांकन प्रक्रिया में, प्रबंधन के मुख्य कार्य विश्लेषण से शुरू होते हैं क्योंकि प्रारंभिक प्रक्रिया कोई भी व्यक्ति कर सकता है जिसे लेखांकन के बारे में बुनियादी जानकारी होता है लेकिन प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ यह और भी आसान हो गया है।

7. व्याख्या करना (Interpreting):

सारांशित रूपों का विश्लेषण करने के बाद, अगला कदम विश्लेषण किए गए डेटा की व्याख्या करना है। विश्लेषण और व्याख्या करना मानसिक प्रक्रियाएं हैं क्योंकि दोनों के लिए सोचने की क्षमता की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में कई रिपोर्ट तैयार की जाती हैं जो व्यवसाय के बारे में बताती हैं जैसे व्यवसाय में क्या हुआ, क्यों हुआ, किस कारण से हुआ, कब से हुआ, आदि।

8. संचार करना (Communicating):

लेखांकन की प्रक्रिया में संचार अंतिम चरण है और यह विश्लेषण किए गए डेटा की व्याख्या के बाद किया जाता है। एक बार सभी रिपोर्ट तैयार हो जाने के बाद, उन्हें सही लोगों को सूचित किया जाता है जैसे मालिक, शेयरधारक, लेनदार, ऋणदाता, आदि, क्योंकि ये वे लोग हैं जो व्यवसाय में रुचि रखते हैं।


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QNA/FAQ

Q1. लेखांकन की प्रक्रिया में पहचान करना क्या है?

Ans: लेखांकन की प्रक्रिया में, पहचान करने का अर्थ है आर्थिक और गैर-आर्थिक लेन-देन, व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक लेन-देन आदि की पहचान करना।

Q2. लेखांकन की प्रक्रिया में दर्ज करना (Recording) क्या है?

Ans: जर्नल की अवधारणा की सहायता से लेन-देन को जर्नल पुस्तक में दर्ज करना, दर्ज करना कहलाता है।

Q3. लेखांकन की प्रक्रिया में वर्गीकरण क्या है?

Ans: जर्नल पुस्तक में दर्ज लेन-देन को बही खातों में वर्गीकृत करना वर्गीकरण कहलाता है।

Q4. लेखांकन की प्रक्रिया में सारांश क्या है?

Ans: बही खातों के डेटा को विभिन्न रूपों जैसे ट्रायल बैलेंस, व्यापार खाता, लाभ और हानि खाता, बैलेंस शीट, आदि में परिवर्तित करना सारांश कहलाता है।

Q5. लेखांकन की प्रक्रिया लिखिए।

Ans: लेखांकन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:

1. पहचान करना (Identifying)
2. मापना (Measuring)
3. दर्ज करना (Recording)
4. वर्गीकृत करना (Classifying)
5. सारांश करना (Summarising)
6. विश्लेषण करना (Analysing)
7. व्याख्या करना (Interpreting)
8. संचार करना (Communicating)

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