बही खातों का वर्गीकरण (Classification of Ledger Accounts)

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व्यवसाय में लेनदेन को प्रबंधित करने के लिए कई विधियों और अवधारणाओं का उपयोग किया जाता है। ये सभी विधियाँ और अवधारणाएँ लेनदेन को व्यवस्थित रूप से दर्ज करने और प्रबंधित करने में मदद करती हैं। इन अवधारणाओं में से एक बही की अवधारणा है, यह लेनदेन को उनकी प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत करने में मदद करता है। बही की अवधारणा के अनुसार प्रत्येक प्रकृति के लिए अलग-अलग खाता तैयार किये जाते हैं जिनमें केवल उनसे संबंधित लेन-देन ही दर्ज किये जा सकते हैं। बही खाता केवल उसी प्रकृति की रखी जाती है जो किसी निश्चित अवधि के दौरान व्यवसाय में घटित हुई हो।

किसी व्यवसाय में, एक निश्चित अवधि के दौरान विभिन्न प्रकृति के लेनदेन घटित हो सकते हैं, जिसके लिए अलग-अलग खाते तैयार किए जाते हैं। जिन व्यवसायों में कम लेन-देन होता है, वे बही खाता तैयार करने के लिए केवल एक पुस्तक का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि कम खातों के कारण खातों का पता लगाना मुश्किल नहीं होगा, लेकिन जिन व्यवसायों में अधिक लेनदेन होता है उन्हें लेनदेन की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग पुस्तकों का उपयोग करना पड़ता है। बही खाता की विभिन्न प्रकृति के लिए अलग-अलग पुस्तकों के उपयोग को बही खाता का वर्गीकरण कहा जाता है जैसे देनदारों के लिए अलग पुस्तक, लेनदारों के लिए अलग पुस्तक, आदि।

Classification of Ledger Accounts

बही खातों का वर्गीकरण (Classification of Ledger Accounts)

बही खाता के वर्गीकरण के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

1. देनदारों के बही खाते (Debtors Ledger Account):

देनदार का अर्थ है एक खरीदार जो उधार पर वस्तुएं और सेवाएं खरीदता है और यह व्यवसाय में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह व्यवसाय को चलाने में मदद करता है और जब तक शेष राशि लंबित रहती है तब तक यह व्यवसाय की वर्तमान संपत्ति होता है। देनदारों से संबंधित सभी खाते देनदार बही खाता पुस्तक के अंतर्गत दर्ज किए जाते हैं। यदि देनदार बड़ी संख्या में है तो उसे क्षेत्र के अनुसार भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

2. लेनदारों के बही खाते (Creditors Ledger Account):

लेनदार का अर्थ है एक विक्रेता जो उधार पर वस्तुएं और सेवाएं बेचता है और यह हर व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देनदार व्यवसाय से वस्तुओं और सेवाओं को बाहर लाने में मदद करते हैं और लेनदार वस्तुओं और सेवाओं को व्यवसाय में लाने में मदद करते हैं। लेनदार व्यवसाय की वर्तमान देनदारियां होती हैं जब तक शेष राशि लंबित रहती है। लेनदार से संबंधित सभी खाते लेनदार बही खाता पुस्तक में दर्ज किये जाते हैं। यदि व्यवसाय में अधिक लेनदार हैं तो उन्हें वर्गीकृत किया जा सकता है।

3. श्रमिकों के बही खाते (Workers Ledger Account):

श्रमिक का अर्थ है एक व्यक्ति जो किसी व्यवसाय में किसी कारण से काम करता है और इनाम प्राप्त करता है और वह स्थायी या अस्थायी हो सकता है। कोई भी व्यवसाय श्रमिकों के बिना नहीं चल सकता क्योंकि व्यवसाय स्वयं नहीं चलता। किसी व्यवसाय में श्रमिक व्यवसाय के अभिभावक के रूप में कार्य करते हैं। लेखांकन के अनुसार, श्रमिक व्यवसाय की देनदारी हैं और प्रबंधन के अनुसार, श्रमिक व्यवसाय की संपत्ति हैं। श्रमिकों से संबंधित सभी खाते श्रमिक बही खाता पुस्तक में दर्ज किये जाते हैं।

4. सामान्य बही खाता (General Ledger Accounts):

किसी भी व्यवसाय में, लेनदारों, देनदारों और श्रमिकों के अलावा, अन्य लेनदेन भी होते हैं जो सामान्य बही खाता पुस्तक में दर्ज किए जाते हैं। यदि व्यवसाय में किसी प्रकृति के अधिक लेन-देन हों तो उनके लिए भी अलग-अलग बही खाता पुस्तक का उपयोग किया जा सकता है। बही में कोई स्पष्ट वर्गीकरण नहीं है और इसके लिए कोई नियम भी नहीं है। किसी भी प्रकृति के लेनदेन को वर्गीकृत किया जा सकता है, यह पूरी तरह से व्यवसाय पर निर्भर करता है। बही खातों को वर्गीकृत करने का मुख्य उद्देश्य बही खातों को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करना है।


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QNA/FAQ

Q1. बही खाता को वर्गीकृत क्यों किया जाता है?

Ans: बही खाता को व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करने के लिए वर्गीकृत किया जाता है।

Q2. देनदार बही खाता में कौन से खाते शामिल हैं?

Ans: देनदारों से संबंधित सभी खाते देनदार बही खाता में शामिल हैं।

Q3. एक देनदार कब तक व्यवसाय की चालू संपत्ति होता है?

Ans: जब तक खाते में शेष राशि है, देनदार व्यवसाय की चालू संपत्ति होता है।

Q4. क्या बही खाता का वर्गीकरण अनिवार्य है?

Ans: नहीं, बही खाता का वर्गीकरण अनिवार्य नहीं है, यह पूरी तरह से व्यवसाय पर निर्भर करता है।

Q5. एक लेनदार कब तक व्यवसाय की वर्तमान देनदारी होता है?

Ans: जब तक खाते में शेष राशि है, लेनदार व्यवसाय का वर्तमान देनदारी होता है।

Q6. बही खाता के वर्गीकरण का उदाहरण लिखिए।

Ans: बही खाता के वर्गीकरण के उदाहरण निम्नलिखित हैं:

1. देनदारों के बही खाते (Debtor’s Ledger Account)
2. लेनदारों के बही खाते (Creditor’s Ledger Account)
3. श्रमिकों के बही खाते (Worker’s Ledger Account)
4. सामान्य बही खाता (General Ledger Accounts)

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