बाजार को स्थिति के आधार पर कई भागों में विभाजित किया गया है, उनमें से एक द्वयधिकार बाजार है। इस बाजार में केवल दो विक्रेता होते हैं और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं। इस बाजार को विक्रेता प्रभावी बाजार भी कहा जाता है क्योंकि केवल दो विक्रेता और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं, जिसके कारण खरीदारों के पास ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं और उन्हें न चाहते हुए भी सीमित विकल्पों में से खरीदारी करनी पड़ती है।
द्वयधिकार बाजार एक अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार का एक हिस्सा है और यह द्वयक्रेताधिकार बाजार के बिल्कुल विपरीत है क्योंकि द्वयक्रेताधिकार बाजार में केवल दो खरीदार होते हैं और इसमें केवल दो विक्रेता होते हैं। इस बाजार में विक्रेता को खरीदारों की तुलना में अधिक लाभ मिलता है क्योंकि खरीदार के पास सीमित विकल्प होते हैं और विक्रेता के पास अधिक विकल्प होते हैं, लेकिन शर्तें लागू होती हैं।
Table of Contents
द्वयधिकार बाजार (Duopoly Market) क्या है?
द्वयधिकार बाजार एक ऐसा बाजार (स्थिति) है जिसमें किसी उत्पाद के केवल दो विक्रेता होते हैं और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं। इस बाजार में उत्पाद के दो विक्रेता होने के कारण उत्पाद का विकल्प उपलब्ध होता है और संभव है कि दोनों विक्रेता आपसी समझौता करके उत्पाद की कीमत बढ़ा सकते हैं। इस बाजार में विक्रेता कीमत निर्धारित करने वाले होते हैं और बाजार पर उनका पूरा नियंत्रण होता है।
इस बाजार में विक्रेताओं के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होती है क्योंकि दोनों विक्रेता अधिक से अधिक खरीदारों को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं जिसके लिए वे नई-नई रणनीतियाँ लेकर आते रहते हैं लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है। भले ही इस बाजार में विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा होती है लेकिन वे एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं क्योंकि छोटा सा परिवर्तन भी बाजार पर अधिक प्रभाव डाल सकता है।
द्वयधिकार बाजार की विशेषताएं (Features of Duopoly Market)
द्वयधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. केवल दो विक्रेता (Only Two Sellers):
द्वयधिकार बाजार में, उत्पाद के केवल दो विक्रेता होते हैं और वे सभी खरीदारों को उत्पाद बेचते हैं। भले ही इस बाजार में केवल दो विक्रेता हैं, लेकिन वे पूरे बाजार को नियंत्रित करते हैं और उनके पास ख़रीदारों की तुलना में अधिक विकल्प होते हैं।
2. बड़ी संख्या में खरीददार (Large Number of Buyers):
इस बाजार में बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं और विक्रेताओं के प्रति उनकी प्राथमिकताएँ भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। इस बाजार में केवल दो विक्रेता होने के कारण, खरीदारों के पास अधिक विकल्प उपलब्ध नहीं होते हैं और उन्हें बाजार में जो भी मिलता है उसे ही खरीदना पड़ता है।
3. परस्पर निर्भरता (Interdependence):
इस बाजार में दोनों विक्रेता एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं चाहे कीमत तय करने की बात हो या कोई रणनीति अपनाने की, इसीलिए दोनों एक-दूसरे को ध्यान में रखकर ही कोई काम करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक विक्रेता उत्पाद की कीमत बढ़ाता है, तो खरीदार दूसरे विक्रेता के उत्पाद में अधिक रुचि दिखाते हैं लेकिन ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी।
4. स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध (Substitute Product Available):
बाजार में दो विक्रेताओं की उपस्थिति के कारण स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होता है जिसके कारण खरीदार को उत्पाद खरीदने के लिए विकल्प मिल जाता है। इस बाजार में स्थानापन्न उत्पाद की उपलब्धता के कारण विक्रेता अकेले उत्पाद की कीमत नहीं बढ़ा सकता, यदि विक्रेता ऐसा करता है तो वह खरीदार को खो सकता है।
5. आपसी सहमति (Mutual Consent):
इस बाजार में आपसी सहमति अधिक हो सकती है क्योंकि दोनों विक्रेता समान उत्पाद बेचते हैं और थोड़ा सा बदलाव भी बाजार पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। आपसी सहमति स्पष्ट (Express) रूप से नहीं की जा सकती क्योंकि ऐसा करना प्रतिस्पर्धा के विरुद्ध है इसलिए निहित (Implied) विधि का प्रयोग किया जाता है।
6. प्रवेश में बाधा (Barrier to Entry):
कोई भी तीसरा विक्रेता इस बाजार में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा या तो सरकार द्वारा किया जा सकता है या इसमें प्रवेश करना बहुत मुश्किल या संभव नहीं है। मान लीजिए कि कोई तीसरा विक्रेता किसी न किसी तरह से बाजार में प्रवेश करता है तो इस बाजार को द्वयधिकार बाजार नहीं कहा जाएगा क्योंकि इस बाजार की शर्तें पूरी नहीं होंगी।
7. प्रतिस्पर्धा (Competition):
इस बाजार में विक्रेताओं के बीच बहुत प्रतिस्पर्धा होता है क्योंकि बाजार में विकल्प उपलब्ध होता है और प्रत्येक विक्रेता अधिक से अधिक खरीदारों को आकर्षित करना चाहता है। इस बाजार में उत्पाद में थोड़ा सा भी बदलाव बाजार पर भारी असर डालता है।
ये भी पढ़ें:
- बाजार (Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- बाजार के प्रकार (Types of markets)
- पूर्ण प्रतियोगिता बाजार (Perfect Competition Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- एकाधिकारवादी प्रतियोगिता बाजार (Monopolistic Competition Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- एकाधिकार बाजार (Monopoly Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- एकक्रेताधिकार बाजार (Monopsony Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- द्वयक्रेताधिकार बाजार (Duopsony Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- अल्पाधिकार बाजार (Oligopoly Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- अल्पक्रेताधिकार बाजार (Oligopsony Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
- द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार (Bilateral Monopoly Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।
QNA/FAQ
Q1. द्वयधिकार बाजार क्या है?
Ans: द्वयधिकार बाजार एक ऐसा बाजार है जिसमें किसी उत्पाद के केवल दो विक्रेता होते हैं और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं।
Q2. क्या द्वयधिकार बाजार में विकल्प उपलब्ध होते हैं?
Ans: हां
Q3. क्या द्वयधिकार बाजार में विक्रेताओं की बड़ी संख्या होती है?
Ans: नहीं, केवल दो विक्रेता होते हैं।
Q4. क्या द्वयधिकार बाजार द्वयक्रेताधिकार बाजार के विपरीत है?
Ans: हां
Q5. द्वयधिकार बाजार में कितने विक्रेता होते हैं?
Ans: दो (Two)
Q6. क्या द्वयधिकार बाजार में बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं?
Ans: हां
Q7. द्वयधिकार बाजार की विशेषताएं लिखिए।
Ans: द्वयधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. केवल दो विक्रेता होते हैं।
2. बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं।
3. विक्रेता एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
4. स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होते हैं।
5. विक्रेताओं के बीच आपसी सहमति देखने को पाई जाती है।
6. नए विक्रेताओं के प्रवेश में बाधाएँ होती हैं।
7. विक्रेताओं के बीच अत्यधिक प्रतिस्पर्धा होती है।