मूल्यह्रास (Depreciation) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

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किसी भी संगठन में संपत्तियां बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि वे संगठन को कार्य करने, आय अर्जित करने, आदि में मदद करती हैं और लेखांकन के अनुसार, संपत्तियों को समझने और प्रबंधित करने में आसान बनाने के लिए उन्हें अचल संपत्तियों और चालू संपत्तियों में विभाजित किया जाता है। अचल संपत्तियों में फर्नीचर, भवन, भूमि, मशीनरी, आदि शामिल हैं और इनका उपयोग एक वर्ष से अधिक समय के लिए किया जाता है और चालू संपत्तियों में स्टॉक, देनदार, नकदी, आदि शामिल हैं और इनका उपयोग एक वर्ष के भीतर किया जाता है।

चालू संपत्तियों का उपयोग एक वर्ष के भीतर किया जाता है, इसलिए इनमें मूल्यह्रास नहीं लगता है और यदि इनके मूल्य में कमी होती भी है, तो इसे घाटे में दिखाया जाता है, लेकिन अचल संपत्तियों का उपयोग एक वर्ष से अधिक समय तक के लिए किया जाता है, जिसके कारण इनका मूल्य हर साल घटता रहता है, इसीलिए इन पर मूल्यह्रास लगाया जाता है, ताकि प्रति वर्ष होने वाले कमी को हानि में दिखाया जा सके। ध्यान दें: अचल संपत्तियों में भी, मूर्त अचल संपत्तियों पर मूल्यह्रास लागू होता है क्योंकि अमूर्त अचल संपत्तियों पर परिशोधन (Amortization) लागू होता है।

ध्यान दें: भूमि पर मूल्यह्रास लागू नहीं होता है क्योंकि भूमि का जीवन असीमित माना जाता है।

मूल्यह्रास (Depreciation) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

मूल्यह्रास क्या है? (What is Depreciation?)

मूल्यह्रास का अर्थ (Meaning of Depreciation)

किसी संपत्ति के मूल्य में होने वाले कमी को मूल्यह्रास कहा जाता है और यह संपत्ति के निर्माण से ही लागू हो जाती है और यह एक गैर-नकद व्यय है क्योंकि इसमें नकदी शामिल नहीं होती है। किसी संपत्ति के मूल्य में कमी प्रयोग, समय, प्रौद्योगिकी में परिवर्तन, टूट-फूट, आदि के कारण होती है। मूल्यह्रास केवल अचल संपत्तियों (मूर्त) पर लागू होता है क्योंकि उनका उपयोग एक वर्ष से अधिक समय के लिए किया जाता है और हर साल मूल्यह्रास मूल्य को संपत्तियों से घटाया जाता है और लाभ और हानि खाता के डेबिट पक्ष पर व्यय के रूप में दिखाया जाता है।

आम तौर पर, मूल्यह्रास संपत्ति के पुस्तक मूल्य पर लगाया जाता है और मूल्यह्रास मूल्य की गणना करने के लिए विभिन्न विधियाँ हैं जैसे सीधी रेखा विधि (Straight Line Method), लिखित मूल्य विधि (Written Down Value Method), वार्षिकी विधि (Annuity Method), माइलेज विधि (Mileage Method), आदि। प्रत्येक विधि की अपनी विशेषताएं हैं और संगठन किसी भी उपयुक्त विधि का उपयोग करके मूल्यह्रास मूल्य की गणना कर सकते हैं। ध्यान दें: संगठन, संगठन की प्रकृति, शासी प्राधिकरण, आदि मूल्यह्रास की गणना करने की विधि के चयन को प्रभावित कर सकते हैं।


मूल्यह्रास की परिभाषा (Definition of Depreciation)

आर.एन. कार्टर के अनुसार – “मूल्यह्रास किसी भी कारण से किसी संपत्ति के मूल्य में होने वाली क्रमिक और स्थायी कमी है।”

According to R.N. Carter – “Depreciation is the gradual and permanent decrease in the value of an asset from any cause.”

विलियम पिक्ल्स के अनुसार – “मूल्यह्रास किसी संपत्ति की गुणवत्ता, मात्रा या मूल्य में स्थायी और निरंतर कमी है।”

According to William Pickles – “Depreciation is a permanent and continuing decrease in the quality, quantity, or value of an asset.”

स्पाइसर और पेग्लर के अनुसार – “मूल्यह्रास किसी निश्चित अवधि के दौरान किसी भी कारण से किसी संपत्ति के प्रभावी जीवन की समाप्ति का माप है।”

According to Spicer and Pegler – “Depreciation is the measure of the exhaustion of the effective life of an asset from any cause during a given period.”

आर.जी. विलियम्स के अनुसार – “मूल्यह्रास को उपयोग के कारण मूल्य में क्रमिक गिरावट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है”।

According to R.G. Williams – “Depreciation may be defined as a gradual deterioration in value due to use”.


मूल्यह्रास की विशेषताएं (Features of Depreciation)

मूल्यह्रास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. केवल अचल संपत्तियां: (Only Fixed Assets):

मूल्यह्रास केवल अचल संपत्तियों पर ही लागू होता है क्योंकि इनका उपयोग एक वर्ष से अधिक समय तक के लिए किया जाता है और किसी न किसी कारण से हर साल इनके मूल्य में कम होती रहती है और अचल संपत्तियों में भी केवल मूर्त अचल संपत्तियों पर ही यह लागू होता है।

2. मूल्य में कमी (Reduces Value):

जिस संपत्ति पर यह लागू होता है, उसका मूल्य कम हो जाता है और कितना कम होगा, यह संपत्ति की प्रकृति, संगठन की प्रकृति, मूल्यह्रास की विधि, आदि पर निर्भर करता है।

3. गैर-नकद व्यय (Non-cash Expense):

मूल्यह्रास एक गैर-नकद व्यय है क्योंकि यह नकद या नकद व्यय का हिस्सा नहीं है, इसका उपयोग केवल अचल संपत्ति के मूल्य को कम करने के लिए किया जाता है। हर साल मूल्यह्रास मूल्य को अचल संपत्तियों से काट लिया जाता है और लाभ और हानि खाता के डेबिट पक्ष पर एक व्यय के रूप में दिखाया जाता है।

4. निरंतर (Continuous):

मूल्यह्रास प्रकृति में निरंतर होता है क्योंकि यह अचल संपत्ति पर उसके जीवन के अंत तक लागू होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी संपत्ति का जीवन 5 वर्ष है, तो उस संपत्ति पर मूल्यह्रास 5 वर्षों तक लागू रहेगा।

5. कर लाभ (Tax Benefits):

मूल्यह्रास कर लाभ प्रदान करता है या दूसरे शब्दों में कहें तो, यह करों को बचाने में मदद करता है क्योंकि इसके लागु होने से पहले, संगठन में लाभ अधिक प्रतीत होता है जिसके कारण कर भी अधिक हो जाता है।

6. शुद्ध लाभ (Net Profit):

यह संगठन में शुद्ध लाभ की गणना करने में मदद करता है क्योंकि यह एक प्रकार का व्यय है और जब तक सभी व्ययों को आय से घटाया नहीं जाता, तब तक शुद्ध लाभ की गणना नहीं की जा सकती।


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QNA/FAQ

Q1. मूल्यह्रास क्या है?

Ans: किसी संपत्ति के मूल्य में होने वाले कमी को मूल्यह्रास कहा जाता है।

Q2. क्या मूल्यह्रास एक गैर-नकद व्यय है?

Ans: हां, मूल्यह्रास एक गैर-नकद व्यय है क्योंकि इसका नकदी से कोई संबंध नहीं है।

Q3. क्या मूल्यह्रास केवल अचल संपत्तियों पर ही लागू होता है?

Ans: हां, मूल्यह्रास केवल अचल संपत्तियों पर ही लागू होता है।

Q4. क्या मूल्यह्रास शुद्ध लाभ की गणना करने में सहायक है?

Ans: हां, मूल्यह्रास शुद्ध लाभ की गणना में सहायक है।

Q5. क्या मूल्यह्रास से संपत्ति का मूल्य कम हो जाता है?

Ans: हां, मूल्यह्रास से संपत्ति का मूल्य कम हो जाता है।

Q6. मूल्यह्रास की विशेषताएं लिखिए।

Ans: मूल्यह्रास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. यह केवल अचल संपत्ति पर लागू होता है।
2. यह एक गैर नकद व्यय है।
3. यह किसी संपत्ति के मूल्य को कम करता है।
4. यह शुद्ध लाभ की गणना करने में मदद करता है।
5. यह करों को कम करने में मदद करता है।
6. यह एक सतत प्रक्रिया है।

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