लेखांकन का आधार लेखांकन कार्य के लिए एक आधार है और यह लेखांकन कार्य के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि यह बताता है कि किसी लेनदेन का लेखांकन कार्य कब करना है या पुस्तकों में लेनदेन को कब दर्ज करना है और इसके लिए यह तीन प्रकार के आधार प्रदान करता है, पहला उपार्जन आधार, दूसरा नकद आधार और तीसरा संकर आधार जिसे लेखांकन के आधार के प्रकार या वर्गीकरण के रूप में भी जाना जाता है।
इसका चयन लेखांकन कार्य शुरू करने से पहले किया जाता है ताकि चुने गए आधार के अनुसार लेखांकन कार्य किया जा सके। कोई भी व्यवसाय एक आधार का चयन करके लेखांकन कार्य शुरू कर सकते हैं। ध्यान दें: प्रत्येक आधार की अपनी विशेषताएं होती हैं जिसके कारण वे एक दूसरे से भिन्न होते हैं और किस आधार का उपयोग करना है यह व्यवसाय और उसकी प्रकृति पर निर्भर करता है।
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लेखांकन के आधार का वर्गीकरण (Classification of Basis of Accounting)
लेखांकन के आधार का वर्गीकरण नीचे वर्णित है:
लेखांकन के आधार का वर्गीकरण (Classification of Basis of Accounting) | – उपार्जन आधार (Accrual Basis) – नकद आधार (Cash Basis) – संकर आधार (Hybrid Basis) |
1. उपार्जन आधार (Accrual Basis):
लेखांकन में उपार्जन आधार सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला आधार है और इसमें लेनदेन को तब दर्ज किया जाता है जब लेनदेन घटित होता है और इसमें नकद लेनदेन और उधार लेनदेन दोनों को ही दर्ज किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि 14.07.2024 को उधार बिक्री की जाती है, तो बिक्री 14.07.2024 को ही दर्ज की जाएगी भले ही भुगतान बाद में प्राप्त हो। सरल शब्दों में कहें तो जिस दिन लेनदेन घटित होगा, उसी दिन लेखांकन पुस्तिका में उसे दर्ज दर्ज किया जाएगा, चाहे वह उधार हो या नकद।
उपार्जन आधार (Accrual Basis): जब लेनदेन घटित होता है तब लेनदेन को दर्ज किया जाता है। |
2. नकद आधार (Cash Basis):
नकद आधार, उपार्जन आधार के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला आधार है और इसमें लेनदेन को तब दर्ज किया जाता है जब नकद भुगतान किया जाता है या प्राप्त किया जाता है। इसमें उधार लेनदेन दर्ज नहीं किए जाते हैं क्योंकि इसका सिद्धांत नकद पर आधारित है। उदाहरण के लिए, यदि 14.07.2024 को उधार बिक्री की जाती है और 15.07.2024 को भुगतान प्राप्त होता है, तो बिक्री 15.07.2024 को पुस्तकों में दर्ज की जाएगी। सरल भाषा में कहें तो, इसमें यह मायने नहीं रखता कि लेनदेन कब होता है, इसमें यह मायने रखता है कि नकद कब प्राप्त होता है या भुगतान होता है।
नकद आधार (Cash Basis): नकदी प्राप्त होने या भुगतान होने पर लेनदेन को दर्ज किया जाता है। |
3. संकर आधार (Hybrid Basis):
संकर आधार, उपार्जन आधार और नकद आधार का मिश्रण है, इसलिए इसे लेखांकन का मिश्रित आधार भी कहा जाता है। इसके अनुसार, लेखांकन कार्य के लिए दोनों आधारों का उपयोग किया जा सकता है। आम तौर पर, जो व्यवसाय इसका उपयोग करते हैं, वे व्यय से संबंधित लेन-देन को उपार्जन आधार पर दर्ज करते हैं और आय को नकद आधार पर दर्ज करते हैं। इस आधार का उपयोग बहुत कम ही किया जाता है क्योंकि यह वित्तीय रिपोर्ट तैयार करने में सहायक नहीं होता है।
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- लेखांकन का उपार्जन आधार (Accrual Basis of Accounting) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
- लेखांकन का नकद आधार (Cash Basis of Accounting) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
- लेखांकन का संकर आधार (Hybrid Basis of Accounting) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।
QNA/FAQ
Q1. उपार्जन आधार के अनुसार लेन-देन को पुस्तकों में कब दर्ज किया जाता है?
Ans: उपार्जन आधार के अनुसार, लेन-देन को पुस्तकों में लेन-देन घटित तिथि पर दर्ज किया जाता है।
Q2. संकर आधार को किस नाम से भी जाना जाता है?
Ans: संकर आधार को मिश्रित आधार के नाम से भी जाना जाता है।
Q3. नकद आधार के अनुसार लेनदेन को कब दर्ज किया जाता है?
Ans: नकद आधार के अनुसार, नकदी प्राप्त होने या भुगतान होने पर लेनदेन दर्ज किया जाता है।
Q4. क्या लेखांकन का नकद आधार नकदी पर आधारित है?
Ans: हां, लेखांकन का नकद आधार नकदी पर आधारित है।
Q5. क्या नकद आधार, उधार लेनदेन को भी दर्ज करता है?
Ans: नहीं, नकद आधार पर उधार लेनदेन को दर्ज नहीं करता है क्योंकि यह नकदी पर आधारित है।
Q6. लेखांकन के आधार को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया है?
Ans: लेखांकन के आधार को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है:
1. उपार्जन आधार (Accrual Basis)
2. संकर आधार (Hybrid Basis)
3. संकर आधार (Hybrid Basis)