व्यवसाय में लेन-देन को प्रबंधित करने के लिए प्रत्येक प्रकार के लेन-देन के लिए एक अलग खाता तैयार किया जाता है जिसमें केवल उससे संबंधित लेन-देन को ही दर्ज किया जाता है। लेखांकन में सभी खातों पर उनकी प्रकृति के अनुसार नियम लागू होते हैं, इसीलिए जब खाते तैयार किए जाते हैं तो उन्हें अलग-अलग भागों में वर्गीकृत किया जाता है ताकि उनमें लेन-देन को सही तरीके से दर्ज किया जा सके।
खातों का वर्गीकरण कई तरीकों से किया जा सकता है लेकिन डेबिट और क्रेडिट के नियम के अनुसार, खातों को पारंपरिक दृष्टिकोण और आधुनिक दृष्टिकोण में वर्गीकृत किया जाता है। पारंपरिक दृष्टिकोण में, खातों को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है और आधुनिक दृष्टिकोण में, खातों को पांच भागों में वर्गीकृत किया जाता है, लेकिन दोनों विधियों में परिणाम समान होता है।
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खातों का वर्गीकरण (Classification of Accounts)
खातों का वर्गीकरण निम्नलिखित है:
पारंपरिक दृष्टिकोण (Traditional Approach) | – व्यक्तिगत खाता (Personal Account) – वास्तविक खाता (Real Account) – नाममात्र खाता (Nominal Account) |
आधुनिक दृष्टिकोण (Modern Approach) | – संपत्ति खाता (Asset Account) – पूंजी खाता (Capital Account) – व्यय खाता (Expense Account) – देनदारी खाता (Liability Account) – राजस्व खाता (Revenue Account) |
पारंपरिक दृष्टिकोण (Traditional Approach)
पारंपरिक दृष्टिकोण के अनुसार, खातों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. व्यक्तिगत खाता (Personal Account):
इसमें वे सभी खाते शामिल हैं जो किसी व्यक्ति से संबंधित हैं और यह व्यक्ति जीवित या निर्जीव हो सकता है। उदाहरण के लिए, जीवित व्यक्तियों में मनुष्य और निर्जीव व्यक्तियों में कंपनियाँ आदि शामिल हैं। ध्यान दें प्रतिनिधि खाते जैसे बकाया व्यय, प्रीपेड व्यय आदि भी इसके अंतर्गत आते हैं।
व्यक्तिगत खाता का उदाहरण निम्नलिखित हैं:
- देनदार खाता (Debtor Account)
- लेनदार खाता (Creditor Account)
- बैंक खाता (Bank Account)
- पूंजी खाता (Capital Account)
- आहरण खाता (Drawing Account), आदि।
2. वास्तविक खाता (Real Account):
इसमें वे सभी खाते शामिल हैं जो संपत्तियों से संबंधित हैं। जिस तरह से संपत्तियों को वर्गीकृत किया जाता है, उसी तरह इन खातों को भी अचल और चालू, मूर्त और अमूर्त, परिचालन और गैर-परिचालन, आदि में वर्गीकृत किया जा सकता है।
वास्तविक खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- नकद खाता (Cash Account)
- बैंक खाता (Bank Account)
- संपत्ति खाता (Property Account)
- फर्नीचर खाता (Furniture Account)
- मशीनरी खाता (Machinery Account), आदि।
3. नाममात्र खाता (Nominal Account):
इसमें लाभ, हानि, आय, व्यय आदि से संबंधित सभी खाते शामिल हैं। सरल शब्दों में कहें तो, इसमें व्यक्तिगत खाते और वास्तविक खाते को छोड़कर सभी खाते शामिल हैं। चूंकि यह एक अस्थायी खाता है, इसलिए इसका शेष हर साल ख़तम किया जाता है।
नाममात्र खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- बिक्री खाता (Sales Account)
- खरीद खाता (Purchases Account)
- व्यय खाता (Expense Account)
- आय खाता (Income Account)
- किराया खाता (Rent Account)
- कमीशन खाता (Commission Account), आदि।
आधुनिक दृष्टिकोण (Modern Approach)
आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, खातों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. संपत्ति खाता (Asset Account):
इसमें सभी संपत्ति खाते शामिल हैं। पारंपरिक दृष्टिकोण में, यह वास्तविक खाता और व्यक्तिगत खाता के अंतर्गत आता है और यह स्थायी खाता होता हैं जिसके कारण यह शेष राशि के निपटान तक मौजूद रहता है।
वास्तविक खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- नकद खाता (Cash Account)
- बैंक खाता (Bank Account)
- देनदार खाता (Debtor Account)
- संपत्ति खाता (Property Account)
- फर्नीचर खाता (Furniture Account)
- उपकरण खाता (Equipment Account)
- मशीनरी खाता (Machinery Account), आदि।
2. पूंजी खाता (Capital Account):
इसमें वे सभी खाते शामिल होते हैं जो व्यवसाय के स्वामी से संबंधित होते हैं। पारंपरिक दृष्टिकोण में, यह व्यक्तिगत खाता के अंतर्गत आता है। ध्यान दें कि अलग-अलग व्यवसाय रूप में, मालिक के निवेश को अलग-अलग नामों से जाना जा सकता है, जैसे एकल स्वामित्व में इसे पूंजी के रूप में जाना जाता है और कंपनी में इसे शेयर या इक्विटी आदि के रूप में जाना जाता है।
पूंजी खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- पूंजी खाता (Capital Account)
- आहरण खाता (Drawing Account), आदि।
3. व्यय खाता (Expense Account):
व्यय के सभी खाते इसके अंतर्गत आते हैं। पारंपरिक दृष्टिकोण में, यह वास्तविक खाता के अंतर्गत आता है और यदि कोई व्यय बकाया है या पूर्व भुगतान किया गया है तो यह व्यक्तिगत खाता के अंतर्गत आता है। ध्यान दें कि इसके अंतर्गत आने वाले सभी खाते अस्थायी (Temporary) होते हैं जो एक वर्ष के भीतर समाप्त हो जाते हैं।
व्यय खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- क्रय खाता (Purchase Account)
- माल ढुलाई खाता (Freight Charges Account)
- ब्याज भुगतान खाता (Interest Payment Account)
- किराया खाता (Rent Account)
- बिजली खाता (Electricity Account)
- वेतन खाता (Salary Account)
- मजदूरी खाता (Wages Account)
- कार्यालय व्यय खाता (Office Expenses Account), आदि।
4. देनदारी खाता (Liability Account):
इनमें वे खाते शामिल हैं जिनका भुगतान व्यवसाय द्वारा नहीं किया गया है और यह व्यवसाय का देनदारी या दायित्व हैं। पारंपरिक दृष्टिकोण में, यह व्यक्तिगत खाता के अंतर्गत आता है। ध्यान दें कि व्यय से संबंधित खाते इसमें शामिल नहीं होते हैं, लेकिन यदि उनका भुगतान करना बाकी है, तो उन्हें इसमें शामिल किया जाएगा।
देनदारी खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- लेनदार खाता (Creditors Account)
- किराया बकाया खाता (Rent Outstanding Account)
- वेतन बकाया खाता (Salary Outstanding Account)
- ऋण खाता (Loan Account), आदि।
5. राजस्व खाता (Revenue Account):
आय, लाभ, लाभ, आदि सभी खाते इसके अंतर्गत आते हैं। पारंपरिक दृष्टिकोण में, यह नाममात्र खाता के अंतर्गत आता है। सरल भाषा में कहें तो वे सभी खाते जो आय से संबंधित हैं, इसके अंतर्गत आते हैं।
राजस्व खाता का उदाहरण निम्नलिखित है:
- बिक्री खाता (Sales Account)
- ब्याज प्राप्त खाता (Interest Received Account)
- कमीशन प्राप्त खाता (Commission Received Account)
- लाभांश प्राप्त खाता (Dividend Received Account)
- किराया प्राप्त खाता (Rent Received Account)
- रॉयल्टी प्राप्त खाता (Royalty Received Account), आदि।
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QNA/FAQ
Q1. प्रतिनिधि खाता किस खाता के अंतर्गत आता है?
Ans: व्यक्तिगत खाता
Q2. बकाया व्यय पर कौन सा नियम लागू होता है?
Ans: व्यक्तिगत खाता नियम
Q3. क्या बकाया खर्च एक दायित्व है?
Ans: हाँ, बकाया खर्च एक दायित्व है।
Q4. पारंपरिक दृष्टिकोण के अनुसार, खातों को कितने भागों में वर्गीकृत किया जाता है।
Ans: पारंपरिक दृष्टिकोण के अनुसार, खातों को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. व्यक्तिगत खाता (Personal Account)
2. वास्तविक खाता (Real Account)
3. नाममात्र खाता (Nominal Account)
Q5. आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, खातों को कितने भागों में वर्गीकृत किया जाता है।
Ans: आधुनिक दृष्टिकोण के अनुसार, खाते को पांच भागों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. संपत्ति खाता (Asset Account)
2. पूंजी खाता (Capital Account)
3. व्यय खाता (Expense Account)
4. देनदारी खाता (Liability Account)
5. राजस्व खाता (Revenue Account)