लेखांकन परंपराएँ (Accounting Conventions)

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लेखांकन अपने आप में एक दुनिया है क्योंकि इसमें कई सिद्धांत, विधियाँ, नियम आदि हैं जिनका उपयोग लेखांकन कार्य को व्यवस्थित तरीके से पूरा करने के लिए किया जाता है और उनमें से एक है लेखांकन परंपराएँ। लेखांकन परंपराएँ कोई नियम नहीं हैं क्योंकि यह एक प्रथा या अभ्यास है जो सदियों से चला आ रहा है और इसका उपयोग अनिवार्य नहीं है लेकिन इसका उपयोग लेखांकन कार्य को व्यवस्थित तरीके से करने के लिए किया जा सकता है।

लेखांकन परंपराओं में पूर्ण प्रकटीकरण, स्थिरता, भौतिकता, रूढ़िवादिता या विवेकशीलता, आदि शामिल हैं और ये सभी परंपराएं लेखांकन कार्यों को अच्छी तरह से निष्पादित करने में मदद करती हैं।

लेखांकन परंपराएँ (Accounting Conventions)

लेखांकन परंपराएँ (Accounting Conventions)

लेखांकन परंपराएँ निम्नलिखित हैं:

1. पूर्ण प्रकटीकरण परंपरा (Full Disclosure Convention):

पूर्ण प्रकटीकरण परंपरा कहता है कि लेखांकन करते समय कोई भी तथ्य नहीं छिपाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से संगठन में लोगों (उपभोक्ता, ग्राहक, निवेशक, लेनदार आदि) का विश्वास कम हो सकता है लेकिन पूर्ण प्रकटीकरण का मतलब संगठन की गुप्त जानकारी का खुलासा करना नहीं है। सरल शब्दों में कहें तो ऐसे तथ्य नहीं छिपाए जाने चाहिए जो लोगों को पता होने चाहिए जैसे हानि, धोखाधड़ी आदि।

2. स्थिरता परंपरा (Consistency Convention):

इस लेखांकन परंपरा के अनुसार संगठन में प्रयुक्त लेखांकन प्रक्रिया और विधियों में एकरूपता होनी चाहिए क्योंकि इससे विभिन्न लेखांकन रिपोर्टों को समझना आसान हो जाता है। सरल शब्दों में कहें तो इस वर्ष जिस विधि या प्रक्रिया का प्रयोग किया गया है, उसे अगले वर्ष भी प्रयोग किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि वर्तमान वर्ष में मूल्यह्रास के लिए लिखित मूल्य विधि का प्रयोग किया जाता है, तो अगले वर्ष भी उसी विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए।

3. सारता परंपरा (Materiality Convention):

इस लेखांकन परंपरा के अनुसार केवल उन तत्वों को अलग से पुस्तकों में प्रकट (Disclosed) किया जाना चाहिए जो आवश्यक हैं और जो तत्व आवश्यक नहीं हैं उन्हें संबंधित पुस्तकों में संयोजित (Combine) करके दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से लेखांकन कार्य का बोझ कम हो जाता है और इस प्रकार लेखांकन कार्य की दक्षता में सुधार होता है। ध्यान दें: प्रत्येक संगठन के लिए आवश्यक तत्व अलग-अलग हो सकते हैं।

4. रूढ़िवादिता या विवेकशीलता परंपरा (Conservatism or Prudence Convention):

यह लेखांकन परंपरा कहता है की “लाभ की आशा न करें, लेकिन सभी संभावित नुकसानों के लिए प्रावधान करें”। सरल शब्दों में कहें तो, भविष्य के लाभ को अभी दर्ज न करें, लेकिन भविष्य के नुकसान को अभी दर्ज करें। उदाहरण के लिए, भविष्य में होने वाले संपत्तियों में वृद्धि, स्टॉक मूल्य में वृद्धि, आदि को अभी दर्ज न करें, लेकिन भविष्य में होने वाले संपत्तियों में कमी, स्टॉक मूल्य में कमी, आदि को अभी दर्ज करें। उदाहरण: लागत या बाजार मूल्य पर समापन स्टॉक का मूल्यांकन करना, जो भी कम हो, संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान करना, देनदारों पर छूट देना, आदि।


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QNA/FAQ

Q1. लेखांकन परंपराएँ क्या है?

Ans: लेखांकन परंपराएँ वे रीति-रिवाज, प्रथाएँ और व्यावहारिकताएँ हैं जिनका उपयोग लेखांकन में सदियों से बेहतर लेखांकन परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है।

Q2. स्थिरता परंपरा क्या कहता है?

Ans: स्थिरता परंपरा कहता है कि किसी लेखांकन प्रक्रिया या पद्धति को बिना किसी ठोस कारण के बार-बार नहीं बदला जाना चाहिए।

Q3. “लाभ की आशा न करें, बल्कि सभी संभावित नुकसानों के लिए प्रावधान करें”, यह बात किस परंपरा में कही गई है?

Ans: रूढ़िवादिता या विवेकशीलता परंपरा

Q4. क्या लेखांकन परंपराएँ एक प्रथा हैं?

Ans: हां, लेखांकन परंपराएँ एक प्रथा है।

Q5. लेखांकन परम्पराओं का वर्गीकरण लिखिए।

Ans: लेखांकन परंपराओं का वर्गीकरण निम्नलिखित है:

1. पूर्ण प्रकटीकरण परंपरा (Full Disclosure Convention)
2. स्थिरता परंपरा (Consistency Convention)
3. सारता परंपरा (Materiality Convention)
4. रूढ़िवादिता या विवेकशीलता परंपरा (Conservatism or Prudence Convention)

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