व्यवसाय में हर दिन बहुत सारे लेन-देन किए जाते हैं जिन्हें व्यवस्थित रूप से दर्ज और प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है क्योंकि सभी लेन-देन व्यवसाय के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। किसी भी व्यवसाय में अधिकांश लेन-देन नकदी, बैंक, खरीद-बिक्री आदि से संबंधित होते हैं, यदि इन सभी लेन-देन को एक साथ एक पुस्तक में दर्ज किया जाए तो प्रबंधन में कठिनाई होगी, इसीलिए जो लेन-देन बार-बार किए जाते हैं या जिन लेन-देन की संख्या अधिक होती है, उन्हें अलग-अलग पुस्तकों में दर्ज किया जाता है, जिन्हें सहायक पुस्तकें कहा जाता है।
सहायक पुस्तकों का उपयोग करने या न करने के अपने फायदे और नुकसान हैं। यदि व्यवसाय को लगता है कि सहायक पुस्तकों के प्रयोग से उसे लाभ होगा तो वह इसका प्रयोग करेगा अन्यथा नहीं। व्यवसाय के लिए सहायक पुस्तकों का उपयोग करना अनिवार्य नहीं है, यह पूर्णतः वैकल्पिक है, व्यवसाय अपनी सुविधानुसार इसका उपयोग कर भी सकता है और नहीं भी।
ध्यान दें: तकनीकी बढ़ने के कारण हाथ से करने वाला (Manual) काम कम हो रहा है।
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सहायक पुस्तकों के फायदे (Advantages of Subsidiary Books)
सहायक पुस्तकों के लाभ निम्नलिखित हैं:
1. कार्य का विभाजन (Division of Work):
सहायक पुस्तकों के प्रयोग से कार्य विभाजन में सहायता मिलती है क्योंकि इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकृति के लेनदेन को संबंधित व्यक्ति द्वारा अलग-अलग पुस्तकों में दर्ज और प्रबंधित किया जाता है। उदाहरण के लिए, बिक्री लेनदेन को संबंधित व्यक्ति द्वारा बिक्री पुस्तक में दर्ज किया जाता है, उसी प्रकार खरीद लेनदेन को संबंधित व्यक्ति द्वारा खरीद पुस्तक में दर्ज किया जाता है।
2. विशेषज्ञता (Specialization):
इसमें प्रत्येक पुस्तक का रखरखाव संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है, जिसके कारण संबंधित व्यक्ति एक ही कार्य को बार-बार करता रहता है, जिसके कारण वह व्यक्ति उस कार्य में माहिर हो जाता है। उदाहरण के लिए, जो लोग बिक्री पुस्तक का प्रबंधन करते हैं, वे बिक्री लेनदेन को बार-बार दर्ज करते हैं, जिससे वे बिक्री पुस्तक और बिक्री लेनदेन में विशेषज्ञ बन जाते हैं।
3. समय की बचत (Time Saving):
सहायक पुस्तकों के प्रयोग से विभिन्न प्रकृति के लेन-देन को संबंधित व्यक्ति द्वारा अलग-अलग पुस्तकों में दर्ज किया जाता है, जिससे लेन-देन का प्रबंधन शीघ्र एवं कुशलतापूर्वक होता है। जब कार्य संबंधित व्यक्तियों के बीच वितरित किया जाता है, तो कार्य शीघ्रता से पूरा हो जाता है और इसलिए समय की बचत होती है।
4. आसान प्रबंधन (Easy Management):
सहायक पुस्तक का प्रबंधन आसान है क्योंकि इसके अंतर्गत पुस्तकों को अलग-अलग प्रकृति के अनुसार विभाजित किया जाता है जिसका प्रबंधन संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए, क्रय लेन-देन के लिए क्रय बही का रखरखाव किया जाता है और इसका रखरखाव संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है। जब कार्य संबंधित व्यक्तियों के बीच विभाजित हो जाता है तो प्रबंधन करना आसान हो जाता है।
5. त्रुटि में कमी (Error Reduction):
कार्य का विभाजन तथा संबंधित लेन-देन का प्रबंधन संबंधित व्यक्ति द्वारा किये जाने से त्रुटियों की संभावना कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को बार-बार करता है तो उसके कार्य में गलती होने की संभावना कम हो जाती है।
6. अंकेक्षण में मदद (Help in Auditing):
सहायक पुस्तकें अंकेक्षण में मदद करती हैं क्योंकि इसके तहत लेनदेन की विभिन्न प्रकृति के लिए विभिन्न प्रकार की पुस्तकें रखी जाती हैं, जैसे बिक्री बही, खरीद बही, रोकड़ बही, बिक्री वापसी बही, खरीद वापसी बही, इत्यादि। अलग-अलग किताबें रखने और उनमें संबंधित लेनदेन को दर्ज करने से अंकेक्षण की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
7. साक्ष्यात्मक मूल्य (Evidentiary Value):
सहायक पुस्तकों का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है क्योंकि यह कानून के समक्ष मान्य होती है। इसमें सभी प्रविष्टियाँ सीधे स्रोत दस्तावेज़ से की जाती हैं, जो इसे कानून के समक्ष मान्यता प्रदान करती है।
सहायक पुस्तकों के नुकसान (Disadvantages of Subsidiary Books)
सहायक पुस्तकों के नुकसान निम्नलिखित हैं:
1. महंगा (Expensive):
सहायक पुस्तक का रखरखाव करना महंगा है क्योंकि प्रत्येक पुस्तक का रखरखाव संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए बिक्री बही, खरीद बही, रोकड़ बही, बिक्री वापसी बही, खरीद वापसी बही आदि का प्रबंधन संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है। कभी-कभी व्यवसाय खर्चों को कम करने के लिए सारा काम कुछ ही लोगों को दे देता है, जिससे कार्य में कुशलता कम हो जाती है।
2. केवल बड़े व्यवसाय के लिए उपयुक्त (Suitable for Big Business Only):
सहायक पुस्तकें केवल बड़े व्यवसाय के लिए उपयुक्त हैं क्योंकि प्रत्येक पुस्तक का प्रबंधन संबंधित व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिसके लिए जनशक्ति की आवश्यकता होती है। छोटे व्यवसाय भी सहायक पुस्तकों का उपयोग कर सकते हैं यदि वे इसका प्रबंधन कर पाते हैं तो।
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QNA/FAQ
Q1. सहायक पुस्तकों के लाभ लिखिए।
Ans: सहायक पुस्तकों के लाभ निम्नलिखित हैं:
1. सहायक पुस्तकें कार्य विभाजन में सहायता करती हैं।
2. सहायक पुस्तकें काम में विशेषज्ञता हासिल करने में मदद करती हैं।
3. सहायक पुस्तकें समय बचाने में मदद करती हैं।
4. सहायक पुस्तकों का प्रबंधन करना आसान है।
5. सहायक पुस्तकें त्रुटियों को कम करने में मदद करती हैं।
6. सहायक पुस्तकें अंकेक्षण में सहायता करती हैं।
7. सहायक पुस्तकों का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है।
Q2. सहायक पुस्तकों के नुकसान लिखिए।
Ans: सहायक पुस्तकों के नुकसान निम्नलिखित हैं:
1. सहायक पुस्तक का उपयोग करना महँगा है।
2. सहायक पुस्तकें केवल बड़े व्यवसाय के लिए उपयुक्त हैं।
Q3. क्या सहायक पुस्तकें ऑडिटिंग में मदद करती हैं?
Ans: हां, सहायक पुस्तकें ऑडिटिंग में मदद करती हैं क्योंकि इसके तहत विभिन्न प्रकार के लेनदेन के लिए विभिन्न प्रकार की किताबें रखी जाती हैं जो ऑडिटिंग में मदद करती हैं।
Q4. क्या उपयोगी पुस्तकों का उपयोग करना महंगा है?
Ans: हां, सहायक पुस्तकों का उपयोग करना महंगा है क्योंकि प्रत्येक पुस्तक का रखरखाव संबंधित व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसके लिए जनशक्ति की आवश्यकता होती है।
Q5. क्या सहायक पुस्तक का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है?
Ans: हाँ, सहायक पुस्तकों का साक्ष्यात्मक मूल्य होता है क्योंकि इसमें सभी प्रविष्टियाँ सीधे स्रोत दस्तावेज़ से की जाती हैं, जो इसे कानून के समक्ष मान्यता प्रदान करती है।