द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार (Bilateral Monopoly Market) क्या है? अर्थ, विशेषताएं, और बहुत कुछ।

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सबसे पहले, हमें “एकाधिकार बाजार” और “एकक्रेताधिकार बाजार” को समझने की आवश्यकता है क्योंकि द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार दोनों का एक संयोजन है।

एकाधिकार बाजार: एकाधिकार बाजार एक ऐसा बाजार (स्थिति) है जिसमें केवल एक विक्रेता और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं। एक अकेला विक्रेता अपने अधिकार क्षेत्र में सभी बाजार गतिविधियों को नियंत्रित करता है। इस बाजार में उपलब्ध उत्पादों का कोई करीबी विकल्प नहीं होता है।

एकक्रेताधिकार बाजार: एकक्रेताधिकार बाजार एक ऐसा बाजार (स्थिति) है जिसमें केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं। इस बाजार में सभी विक्रेता केवल एक ही खरीदार को उत्पाद बेचते हैं और खरीदार को उत्पाद के बारे में अच्छी जानकारी होती है।

इस बाजार में दोनों बाजारों की विशेषताएं पाई जाती हैं जैसे एक विक्रेता, एक खरीदार, कोई करीबी विकल्प नहीं, सौदेबाजी, आदि। इस बाजार में विक्रेता खरीदार के अनुसार कार्य करता है क्योंकि विक्रेता वही उत्पाद प्रदान करता है जो खरीदार कहता है, लेकिन इसके विपरीत भी होता है क्योंकि कभी-कभी विक्रेता अपनी ओर से भी खरीदार को उत्पाद प्रदान करता है। इस बाजार में दोनों पक्षों के बीच जितने अच्छे संबंध होंगे, उतने ही अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

What is Bilateral Monopoly Market? Meaning, Features, and More.

द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार (Bilateral Monopoly Market) क्या है?

द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार एक ऐसा बाजार (स्थिति) है जिसमें केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है। यह “एकाधिकार बाजार” और “एकक्रेताधिकार बाजार” का संयोजन है। इस बाजार में, दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं क्योंकि केवल एक विक्रेता जो उत्पाद बेचता है और केवल एक खरीदार जो उत्पाद खरीदता है। यह बाजार कम ही देखने को मिलता है और इस बाजार में मोलभाव भी ज़्यादा होता है क्योंकि ख़रीदार वस्तु को सस्ते में खरीदना चाहता है और विक्रेता वस्तु को महंगे में बेचना चाहता है।

द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार एक ऐसा बाजार है जिसमें केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है।

इस बाजार में, उत्पाद का कोई करीबी विकल्प उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि केवल एक विक्रेता होता है जो उत्पाद बेचता है लेकिन विक्रेता के लिए भी कोई विकल्प नहीं होता है क्योंकि केवल एक खरीदार होता है। इस बाजार में दोनों पक्षों के बीच सहमति अधिक होती है क्योंकि दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं, यदि दोनों एक-दूसरे से सहमत नहीं होते हैं, तो उन्हें खुद को नुकसान हो सकता है।


द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार की विशेषताएं (Features of Bilateral Monopoly Market)

द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. केवल एक खरीदार और विक्रेता (Only One Buyer and Seller):

द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में, केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है क्योंकि यह बाजार तभी बनता है जब केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है। विक्रेता केवल एक खरीदार को उत्पाद बेचता है और खरीदार केवल एक विक्रेता से उत्पाद खरीदता है। इस बाजार में खरीदने वाले के लिए कोई विकल्प नहीं है और इसी तरह बेचने वाले के लिए भी कोई विकल्प नहीं है।

2. निर्भरता (Dependency):

इस बाजार में, दोनों पक्ष एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं क्योंकि किसी विशिष्ट उत्पाद के लिए बाज़ार में केवल एक विक्रेता और खरीदार उपलब्ध होता है। विक्रेता केवल एक ही क्रेता को उत्पाद बेचता है और क्रेता भी केवल एक ही विक्रेता से उत्पाद खरीदता है। यदि क्रेता उत्पाद नहीं खरीदेगा और विक्रेता उत्पाद नहीं बेचेगा तो इस बाजार का उद्देश्य पूरा नहीं होगा जिसके कारण यह बाजार नहीं बन पाएगा।

3. कोई विकल्प नहीं (No substitute):

इस बाजार में उत्पाद का कोई करीबी विकल्प नहीं होता है क्योंकि केवल एक विक्रेता ही किसी विशेष उत्पाद को बेचता है क्योंकि केवल उसी के पास उस विशेष उत्पाद को बेचने का अधिकार होता है। अगर कोई बिना अनुमति के उत्पाद बेचता है तो उसे सजा हो सकती है। जिस प्रकार खरीदार के पास उत्पाद का कोई विकल्प नहीं होता, उसी प्रकार विक्रेता के पास भी खरीदार का कोई विकल्प नहीं होता।

4. सौदेबाजी (A Negotiation):

इस बाजार में सौदेबाजी अधिक प्रचलित है क्योंकि किसी उत्पाद का केवल एक विक्रेता और एक खरीदार होता है। विक्रेता के पास केवल एक खरीदार होता है और खरीदार के पास केवल एक विक्रेता होता है जिसके कारण दोनों नहीं चाहते कि सौदा रद्द हो, इसीलिए सौदा करने के लिए सौदेबाजी होती है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ऐसा हर समय हो।

5. कम बिक्री लागत (Low selling cost):

इस बाजार में, दोनों पक्षों को पता होता है कि किसी विशेष उत्पाद का विक्रेता और खरीदार कौन है, जिसके कारण विज्ञापन और प्रचार जैसे बिक्री खर्चों पर खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए इस बाजार में बिक्री लागत बहुत कम होता है।


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QNA/FAQ

Q1. द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार क्या है?

Ans: द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार एक ऐसा बाजार है जिसमें केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है। यह “एकाधिकार बाजार” और “एकक्रेताधिकार बाजार” का संयोजन है।

Q2. क्या द्विपक्षीय एकाधिकार बाज़ार में केवल एक ही खरीदार और विक्रेता होता है?

Ans: हां, द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में, केवल एक खरीदार और एक विक्रेता होता है।

Q3. क्या द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं?

Ans: हां, द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में, दोनों पक्ष एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं क्योंकि विशेष उत्पाद का केवल एक खरीदार और विक्रेता होता है।

Q4. क्या द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में सौदेबाजी पाई जाती है?

Ans: हां, द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में सौदेबाजी पाई जाती है।

Q5. क्या द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में उत्पाद का कोई करीबी विकल्प नहीं है?

Ans: हां, द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार में उत्पाद का कोई करीबी विकल्प नहीं होता क्योंकि उत्पाद का केवल एक ही विक्रेता होता है।

Q6. द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार की विशेषताएं लिखिए।

Ans: द्विपक्षीय एकाधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. केवल एक क्रेता और विक्रेता होता है।
2. दोनों पक्ष एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
3. उत्पाद का कोई करीबी विकल्प नहीं है।
4. सौदेबाजी अधिक पाई जाती है।
5. बिक्री लागत कम होती है।

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