दोहरी प्रविष्टि प्रणाली (Double Entry System) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

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लेखांकन में कई सारे सिद्धांत, अवधारणाएँ, नियम, आदि हैं जिनका उपयोग आर्थिक लेनदेन को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है और उन अवधारणाओं में से एक दोहरी प्रविष्टि प्रणाली है। दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक लेनदेन को डेबिट और क्रेडिट नामक दो भागों में विभाजित किया जाता है। लेनदेन को डेबिट और क्रेडिट भागों में विभाजित इसलिए किया जाता है ताकि लेखांकन समीकरण का पालन किया जा सके।

A = E + L
E = A – L
L = A – E
Assets = Equity (Owner’s Share) + Liability
Equity (Owner’s Share) = Assets – Liability
Liability = Assets – Equity (Owner’s Share)

लेखांकन समीकरण के अनुसार, संपत्तियाँ देनदारियों के बराबर होती हैं या इसके विपरीत क्योंकि देनदारियों में मालिक का हिस्सा भी शामिल होता है। लेखांकन समीकरण तब तक काम नहीं करेगा जब तक कि उचित लेखांकन प्रणाली का उपयोग न किया जाए, इसलिए अधिकांश संगठनों में, लेखांकन समीकरण का पालन करने के लिए लेनदेन को दोहरी प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार दर्ज किया जाता है।

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली (Double Entry System) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली क्या है? (What is Double Entry System?)

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली का अर्थ (Meaning of Double Entry System)

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली एक अवधारणा या प्रणाली है जिसके अनुसार हर लेनदेन को दो पक्षों डेबिट और क्रेडिट में विभाजित किया जाता है। इसे आम तौर पर स्वीकृत लेखा सिद्धांतों (GAAP) में भी मान्यता प्राप्त है क्योंकि यह एक निष्पक्ष प्रणाली प्रदान करता है। इसकी मदद से लेनदेन का प्रबंधन इसलिए किया जाता है क्योंकि एक अकेला व्यक्ति लेनदेन को नहीं कर सकता है, जिसके लिए कम से कम दो व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और इसका सिद्धांत भी इसी पर आधारित है।

आज के समय में, अधिकांश संगठन लेनदेन को दर्ज करने के लिए दोहरी प्रविष्टि प्रणाली का उपयोग करते हैं क्योंकि इसकी मदद से लेनदेन को दर्ज करने से वित्तीय विवरण तैयार करना, लेखांकन रिपोर्ट तैयार करना, लेखांकन त्रुटियों का पता लगाना आसान हो जाता है क्योंकि इसमें उचित प्रणाली का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से धोखाधड़ी, हेराफेरी, आदि का पता लगाना भी आसान हो जाता है।


दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की परिभाषा (Definition of Double Entry System)

विलियम पिक्ल्स के अनुसार – “दोहरी प्रविष्टि प्रणाली पैसे या पैसे के मूल्य में हर लेनदेन को उसके दोहरे पहलू में दर्ज करने का प्रयास करता है। एक खाते द्वारा लाभ की प्राप्ति और दूसरे खाते द्वारा समान लाभ का समर्पण, पहली प्रविष्टि प्राप्त करने वाले खाते के डेबिट और बाद वाली प्रविष्टि आत्मसमर्पण करने वाले खाते के क्रेडिट में होगी।”

According to William Pickles – “The Double Entry System seeks to record every transaction in money or money’s worth in its dual aspect. The receipt of a benefit by one account and the surrender of alike benefit by another account, the former entry being to be debit of the account receiving and the latter to the credit of the account surrendering.”

जे.आर. बाटलीबोई के अनुसार – “प्रत्येक व्यावसायिक लेनदेन का दोहरा प्रभाव होता है और यह विपरीत दिशाओं में दो खातों को प्रभावित करता है और यदि प्रत्येक ऐसे लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड बनाना है तो एक खाते को डेबिट और दूसरे खाते को क्रेडिट करना आवश्यक होगा। प्रत्येक लेनदेन के दोहरे प्रभाव की रिकॉर्डिंग ने ही डबल एंट्री शब्द को जन्म दिया है।”

According to J.R. Batliboi – “Every business transaction has a two-fold effect and that it affects two accounts in opposite directions and if a complete record is to be made of each such transaction it would be necessary to debit one account and credit another account. It is this recording of the two-fold effect of every transaction that has given rise to the term Double Entry.”


दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की विशेषताएं (Features of Double Entry System)

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. अवधारणा (Concept):

यह एक अवधारणा है जिसका उपयोग लेनदेन को दर्ज करने के लिए किया जाता है। इसमें सभी वित्तीय लेनदेन को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है ताकि आगे की लेखांकन प्रक्रिया की जा सके। दो पक्षों में से, एक पक्ष कुछ बढ़ाता है और दूसरा पक्ष कुछ घटाता है या दूसरे शब्दों में कहें तो, दोनों पक्ष एक दूसरे के विपरीत होते हैं।

2. डेबिट और क्रेडिट (Debit and Credit):

इसमें लेनदेन को दो पक्षों में बांटा जाता है, जिनमें से एक डेबिट पक्ष और दूसरा क्रेडिट पक्ष होता है, लेकिन कौन सा पक्ष डेबिट होगा और कौन सा पक्ष क्रेडिट होगा, यह डेबिट और क्रेडिट के नियमों पर निर्भर करता है जैसे:

व्यक्तिगत खाता (Personal Account)– जो लेता है उसे डेबिट करें (Debit – The Receiver)
– जो देता है उसे क्रेडिट करें (Credit – The Giver)
वास्तविक खाता (Real Account)– जो आता है उसे डेबिट करें (Debit – What Comes In)
– जो जाता है उसे क्रेडिट करें (Credit – What Goes Out)
नाममात्र खाता (Nominal Account)– सभी खर्चों/हानि को डेबिट करें (Debit – All Expenses/Losses)
– सभी आय/लाभ को क्रेडिट करें (Credit – All Income/Gains)

3. बराबर (Equal):

इसमें दोनों पक्ष बराबर होते हैं क्योंकि एक पक्ष जो देता है, वही दूसरे पक्ष को मिलता है या दूसरे शब्दों में कहें तो डेबिट हमेशा क्रेडिट के बराबर होता है और क्रेडिट हमेशा डेबिट के बराबर होता है। उदाहरण के लिए, यदि खरीद खाता डेबिट होता है तो नकद खाता या पार्टी खाता क्रेडिट होता है और इसी तरह यदि बिक्री खाता क्रेडिट होता है तो नकद खाता या पार्टी खाता डेबिट होता है।

4. व्यवस्थित (Systematic):

यह एक व्यवस्थित अवधारणा या प्रणाली है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन दोहरे पहलू में दर्ज किए जाते हैं जो लेखांकन समीकरण का पालन करते हैं और इसमें लेनदेन को दर्ज करने के लिए डेबिट और क्रेडिट के नियम का उपयोग किया जाता है जो लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड बनाने में भी मदद करता है।

5. त्रुटि में कमी (Error Reduction):

दोहरी प्रविष्टि प्रणाली का प्रयोग करने से त्रुटियों को कम करने में भी मदद मिलती है क्योंकि इसमें सभी लेन-देन डेबिट और क्रेडिट पक्ष पर नियमों के साथ दर्ज किए जाते हैं और यदि कोई त्रुटि होती भी है तो उसे पता लगाने और सुधारने में मदद मिलती है।

6. प्रबंधन को सहायता (Help to Management):

यह प्रबंधन को वित्तीय रिपोर्ट जैसे व्यापार खाता, लाभ और हानि खाता, बैलेंस शीट, आदि तैयार करने में मदद करता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन डेबिट और क्रेडिट पक्ष पर दर्ज किए जाते हैं जो संपत्तियों और देनदारियों को समान करने और लेखांकन समीकरण का पालन करने में मदद करता है।


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QNA/FAQ

Q1. दोहरी प्रविष्टि प्रणाली क्या है?

Ans: दोहरी प्रविष्टि प्रणाली एक अवधारणा या प्रणाली है जिसके अनुसार हर लेनदेन को दो पक्षों डेबिट और क्रेडिट में विभाजित किया जाता है।

Q2. क्या दोहरी प्रविष्टि प्रणाली दोहरे पहलू पर आधारित है?

Ans: हां, दोहरी प्रविष्टि प्रणाली दोहरे पहलू पर आधारित है क्योंकि इसमें लेनदेन को दो पक्षों में विभाजित किया जाता है जिन्हें डेबिट पक्ष और क्रेडिट पक्ष के रूप में जाना जाता है।

Q3. क्या दोहरी प्रविष्टि प्रणाली में दोनों पक्ष बराबर होते हैं?

Ans: हां, दोहरी प्रविष्टि प्रणाली में दोनों पक्ष बराबर होते हैं क्योंकि जितना डेबिट होता है, उतना ही क्रेडिट भी होता है या दूसरे शब्दों में कहें तो इसमें 1:1 अनुपात होता है।

Q4. क्या दोहरी प्रविष्टि प्रणाली लेखांकन समीकरण का पालन करती है?

Ans: हां, दोहरी प्रविष्टि प्रणाली लेखांकन समीकरण का पालन करती है।

Q5. दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की विशेषताएं लिखिए?

Ans: दोहरी प्रविष्टि प्रणाली की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. यह एक अवधारणा या प्रणाली है।
2. यह लेखांकन समीकरण का अनुसरण करता है।
3. यह दोहरे पहलू पर आधारित है।
4. यह व्यवस्थित है।
5. यह प्रबंधन को वित्तीय विवरण तैयार करने में मदद करता है।
6. यह त्रुटियों को कम करने और उनका पता लगाने में मदद करता है।
7. इसमें लेन-देन को दो भागों में विभाजित होकिया जाता है।
8. इसमें एक तरफ डेबिट पक्ष और दूसरी तरफ क्रेडिट पक्ष होता है।
9. इसमें दोनों पक्ष बराबर होते हैं।
10. इसमें डेबिट और क्रेडिट का नियम लागू होता है।

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