बैंक मिलान (Bank Reconciliation) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

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आज के समय में अधिकांश संगठन बैंकों के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करते हैं क्योंकि बैंकों के माध्यम से लेनदेन करने से उन्हें पारदर्शिता, अभिलेख, सुरक्षा, धोखाधड़ी की कम संभावना, आदि जैसे लाभ मिलते हैं और कई मामलों में, सरकार भी नकद लेनदेन पर सीमा या प्रतिबंध लगाती है ताकि धोखाधड़ी, कर चोरी, आदि जैसी घटनाओं को रोका जा सके।

जब कोई संगठन बैंक में खाता खोलता है, तो वह अपनी पुस्तकों में बैंक खाता को बनाए रखता है (बैंक खाता या तो रोकड़ बही में या अलग से बनाए रखा जाता है) ताकि बैंक के माध्यम से होने वाले लेन-देन को दर्ज किया जा सके। एक विशेष अवधि में, संगठन अपनी पुस्तकों को बैंक विवरण से मिलाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संगठन की पुस्तकों में दर्ज लेन-देन बैंक विवरण में दर्ज लेन-देन के समान हैं और इस प्रक्रिया को बैंक मिलान कहा जाता है।

बैंक मिलान (Bank Reconciliation) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

बैंक मिलान क्या है? (What is Bank Reconciliation?)

बैंक मिलान खाताधारक की पुस्तकों (नकद बही/बैंक खाता) को बैंक की पुस्तकों (पासबुक/बैंक स्टेटमेंट) के साथ मिलाने/मिलान करने की एक प्रक्रिया है और यह समय-समय पर किया जाता है ताकि दोनों पक्षों की पुस्तकें एक दूसरे से मेल खाएँ और यह खाताधारक द्वारा किया जाता है। इसमें सभी लेन-देन को बैंक विवरण से मिलान किया जाता है और यदि कोई त्रुटि, बेमेल, आदि पाई जाती है तो उसे ठीक किया जाता है और जब बैंक मिलान हो जाता है तो आवश्यकता पड़ने पर बैंक मिलान विवरण तैयार किया जाता है।

बैंक मिलान से अलिखित लेनदेन, धोखाधड़ी वाले लेनदेन, आदि की पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे उन्हें समय पर सही करने में मदद मिलती है और जो संगठन बैंक मिलान नहीं करते हैं, उनमें धोखाधड़ी, बेमेल शेष, गलत अभिलेख, आदि जैसी समस्याएं होने की संभावना रहती है। बैंक मिलान से बैंक के माध्यम से किए गए लेनदेन की दोबारा जांच होती है, जिससे संगठन में प्रामाणिक रिपोर्ट तैयार करने में मदद मिलती है, जिससे संगठन को कई लाभ मिलते हैं।


बैंक मिलान की विशेषताएं (Features of Bank Reconciliation)

बैंक मिलान की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. प्रक्रिया (Process):

यह एक प्रक्रिया है जिसमें खाताधारक की पुस्तकों का मिलान बैंक की पुस्तकों से किया जाता है। इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले संबंधित अवधि का बैंक विवरण या पासबुक होना जरूरी है क्योंकि उन्हीं को खाताधारक की पुस्तकों के साथ मिलाया जाता है। बैंक विवरण या पासबुक के बिना यह प्रक्रिया नहीं की जा सकती। ध्यान दें: खाताधारक की पुस्तकों का होना भी जरूरी है।

2. मिलान (Reconciliation):

इसमें बैंक विवरण या पासबुक को खाताधारक की पुस्तक के साथ मिलान किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाताधारक की पुस्तक में सभी लेन-देन सही ढंग से दर्ज किए गए हैं और यदि कोई लेन-देन दर्ज नहीं किया गया है, तो उसे दर्ज किया जा सके और यदि कोई त्रुटि हुई है तो उसे ठीक किया जा सके।

3. खाताधारक द्वारा (By the Account Holder):

बैंक मिलान खाताधारक द्वारा किया जाता है और इसमें खाताधारक बैंक विवरण का मिलान अपनी पुस्तकों से करता है और यदि कोई त्रुटि, बेमेल, अलिखित लेनदेन आदि, पाता है तो उसे ठीक करता है। यदि आवश्यक पड़ती है तो खाताधारक बैंक मिलान विवरण भी तैयार करता है।

4. समय-समय पर (Periodically):

बैंक मिलान समय-समय पर की जाती है क्योंकि इससे खाताधारक की पुस्तक बैंक की पुस्तक के साथ मेल रहती है और इससे अनाधिकारिक लेन-देन के बारे में भी पता लगाने में मदद मिलती है। इसकी मदद से धोखाधड़ी, अलिखित लेन-देन, गलत लेन-देन आदि के बारे में जानकारी मिलती है जिससे समय रहते उन्हें सही करने में मदद मिलती है।

5. समय लेने वाला (Time Consuming):

यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है क्योंकि खाताधारक द्वारा दर्ज किए गए सभी लेन-देन का मिलान बैंक स्टेटमेंट से किया जाता है, लेकिन आजकल तकनीकी विकास के कारण कई सॉफ्टवेयर हैं जिनके उपयोग से बैंक मिलान बहुत कम समय में किया जा सकता है।


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QNA/FAQ

Q1. बैंक मिलान क्या है?

Ans: बैंक मिलान खाताधारक की पुस्तकों को बैंक की पुस्तकों के साथ मिलान करने की एक प्रक्रिया है।

Q2. बैंक मिलान कौन करता है?

Ans: बैंक मिलान खाताधारक करता है।

Q3. क्या समय-समय पर बैंक मिलान किया जाता है?

Ans: हां, समय-समय पर बैंक मिलान किया जाता है।

Q4. क्या बैंक मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है?

Ans: हां, बैंक मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।

Q5. बैंक मिलान की विशेषताएं लिखिए।

Ans: बैंक मिलान की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. यह एक प्रक्रिया है।
2. इसमें बैंक और खाताधारक के रिकॉर्ड का मिलान किया जाता है।
3. यह समय लेने वाली प्रक्रिया है।
4. यह खाताधारक द्वारा किया जाता है।
5. यह समय-समय पर किया जाता है।
6. यह बेमेल, धोखाधड़ी और अलिखित लेनदेन, आदि की पहचान करने में मदद करता है।
7. बैंक मिलान विवरण इसके बाद तैयार किया जाता है।
8. यह लेनदेन की दोबारा जांच करने में मदद करता है।
9. इसके लिए संबंधित अवधि के बैंक और खाताधारक के रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है।

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