बाजार में कई प्रकार के बाजार उपलब्ध हैं जो किसी न किसी कारण से एक दूसरे से भिन्न होते हैं और यह भिन्नता खरीदार, विक्रेता, उत्पाद, आदि हो सकते हैं। प्रत्येक बाजार की अपनी विशेषताएं, घटक आदि होने के कारण बाजारों के बारे में जानना और आकलन करना आसान हो जाता है। इन विभिन्न प्रकार के बाजारों में से एक एकक्रेताधिकार बाजार है।
एकक्रेताधिकार बाजार अपूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार का एक हिस्सा है और इसमें केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं और यह एकाधिकार बाजार के ठीक विपरीत है क्योंकि एकाधिकार बाजार में केवल एक विक्रेता और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं और इस बाजार में केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं। एकक्रेताधिकार बाजार शायद ही कभी देखा जाता है क्योंकि इस बाजार को बनाने के लिए, शासी प्राधिकरण से एक विशेष प्रस्ताव प्राप्त करना पड़ता है।
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एकक्रेताधिकार बाजार क्या है? (What is a Monopsony Market?)
एकक्रेताधिकार बाजार एक ऐसा बाजार (स्थिति) है जिसमें केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं और सभी विक्रेता केवल एक खरीदार को ही उत्पाद बेचते हैं और खरीदार को उत्पादों के बारे में अच्छी जानकारी होती है। इस बाजार में विक्रेताओं की बड़ी संख्या के कारण, स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होते हैं और खरीदार के पास बहुत सारे विकल्प होते हैं। केवल एक खरीदार होने के कारण, इस बाजार में खरीदार का प्रभाव होता है और खरीदार सौदेबाजी की शक्ति का उपयोग कर सकता है।
इस बाजार में विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है क्योंकि इसमें खरीदार एक ही होता है और विक्रेता बहुत बड़ी संख्या में होते हैं और सभी विक्रेता चाहते हैं कि खरीदार उनसे ही उत्पाद खरीदे जिसके लिए उन्हें कई तरह के काम करने पड़ सकते हैं जैसे विज्ञापन, प्रचार, ऑफर, आदि। इस बाजार में एक से अधिक खरीददार नहीं हो सकते, यदि किसी तरह हो भी जाए तो यह एकक्रेताधिकार बाजार नहीं रह जाएगा क्योंकि इस बाजार में केवल एक ही खरीददार हो सकता है।
एकक्रेताधिकार बाजार की विशेषताएं (Features of Monopsony Market)
एकक्रेताधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. केवल एक खरीदार (Only One Buyer):
इस बाजार में केवल एक खरीदार होता है जिसे सभी विक्रेता उत्पाद बेचते हैं और खरीदार का इस बाजार में प्रभाव होता है। बाजार में एक ही खरीदार होने और प्रभाव होने के कारण खरीदार को इस बाजार में राजा या रानी के नाम से जाना जाता है और खरीदार को विक्रेताओं से अधिक प्राथमिकता प्राप्त होती है।
2. विक्रेताओं की बड़ी संख्या (Large Number of Sellers):
इस बाजार में बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं जो केवल एक खरीदार को ही उत्पाद बेचते हैं। चूंकि बाजार में केवल एक ही खरीदार होता है, इसलिए सभी विक्रेता खरीदार की पसंद, रुचि, आदि के अनुसार उत्पाद तैयार करते हैं लेकिन खरीदार के पास कई विकल्प होते हैं कि वह किससे उत्पाद खरीदना चाहता है। कोई भी विक्रेता खरीदार को उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है लेकिन वह उसे उत्पाद खरीदने के लिए मना सकता है।
3. स्थानापन्न उत्पाद (Substitute Products):
इस बाजार में विक्रेताओं की संख्या अधिक होने के कारण उत्पादों का विकल्प उपलब्ध होता है और खरीदार जिससे चाहे, उससे उत्पाद खरीद सकता है, लेकिन विक्रेता जिसे चाहे, उसे नहीं बेच सकता है। इस बाजार में विक्रेता अकेले उत्पादों की कीमत नहीं बढ़ा सकता, क्योंकि ऐसा करने पर वह खरीदार को खो सकता है।
4. सौदेबाजी की शक्ति (Bargaining Power):
बाज़ार में केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होने के कारण खरीदार के पास सौदेबाज़ी की शक्ति होती है लेकिन यह खरीदार पर निर्भर करता है कि वह इसका इस्तेमाल करना चाहता है या नहीं। यदि खरीदार सौदेबाज़ी की शक्ति का इस्तेमाल करना चाहता है तो विक्रेता को सौदेबाज़ी के लिए राज़ी होना पड़ सकता है क्योंकि विक्रेता के पास एक ही खरीदार होता है लेकिन खरीदार के पास कई विक्रेता होते हैं।
5. विक्रय लागत (Selling Cost):
केवल एक खरीदार और विक्रेताओं की अधिक संख्या होने के कारण विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है, जिसके कारण विक्रेता को कई चीजों जैसे विज्ञापन, प्रचार, ऑफर आदि पर खर्च करना पड़ता है, यही कारण है कि इस बाजार में विक्रय लागत अधिक होती है लेकिन कई स्थिति में विक्रय लागत नहीं भी हो सकती है।
6. प्रतिस्पर्धा (Competition):
इस बाजार में केवल एक ही खरीदार होता है और उस खरीदार को उत्पाद बेचने वाले विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है जिसके कारण विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है। हर विक्रेता खरीदार को केवल अपना उत्पाद बेचना चाहता है जिसके लिए वह विज्ञापन, ऑफर आदि का उपयोग करता लेकिन यह क्रेता की पसंद होती है कि वह किस से उत्पाद खरीदता है।
7. प्रवेश में बाधा (Barrier to Entry):
इस बाजार में नए खरीदार के प्रवेश में बाधा होती है क्योंकि इस बाजार की अवधारणा के अनुसार बाजार में केवल एक ही खरीदार हो सकता है। यदि बाजार में एक से अधिक खरीदार होते हैं, तो इसे द्वयक्रेताधिकार बाजार या अल्पक्रेताधिकार बाजार या कोई अन्य बाजार कहा जाता है, न कि एकक्रेताधिकार बाजार। इस बाजार में शासन प्राधिकरण (Governing Authority) भी मदद करती है कि कोई नया खरीदार बाजार में प्रवेश न कर सके।
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QNA/FAQ
Q1. एकक्रेताधिकार बाजार क्या है?
Ans: एकक्रेताधिकार बाजार एक ऐसा बाजार है जिसमें केवल एक खरीदार और बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं।
Q2. क्या एकक्रेताधिकार बाजार में स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होते हैं?
Ans: हां, विक्रेताओं की बड़ी संख्या के कारण, एकक्रेताधिकार बाजार में स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होते हैं।
Q3. कौन सा बाजार एकक्रेताधिकार बाजार के विपरीत है?
Ans: एकाधिकार बाजार
Q4. एकक्रेताधिकार बाजार में खरीदार की संख्या कितनी होती है?
Ans: एक
Q5. क्या एकक्रेताधिकार बाजार में विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है?
Ans: हां
Q6. एकक्रेताधिकार बाजार की विशेषताएं लिखिए।
Ans: एकक्रेताधिकार बाजार की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. इस बाजार में केवल एक ही खरीदार होता है।
2. इस बाजार में बड़ी संख्या में विक्रेता होते हैं।
3. यह बाजार अपूर्ण प्रतिस्पर्धा का हिस्सा है।
4. इस बाजार में स्थानापन्न उत्पाद उपलब्ध होते हैं।
5. इस बाजार में खरीदार के सौदेबाजी की शक्ति होती है।
6. इस बाजार में विक्रय लागत पाई जाती है।
7. इस बाजार में विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है।
8. इस बाजार में नए क्रेता के प्रवेश में बाधा होती है।
9. इस बाजार में क्रेता का प्रभाव होता है।