पूंजी (Capital) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

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पूंजी शब्द का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, लेकिन अभी हम मालिक-संबंधित पूंजी के बारे में बात करेंगे।

व्यवसाय एक आर्थिक गतिविधि है और आर्थिक गतिविधि को करने के लिए कई चीजों की आवश्यकता होती है जैसे उत्पाद, पैसा, स्थान, आदि। जब व्यवसाय को शुरू किया जाता है तो व्यवसाय के पास अपना कुछ भी नहीं होता है जिसके कारण व्यवसाय आर्थिक गतिविधि नहीं कर पाता है इसीलिए व्यवसाय का मालिक व्यवसाय में निवेश करता है ताकि व्यवसाय आर्थिक गतिविधि को कर सके और इसी निवेश को पूंजी कहा जाता है।

व्यवसाय में मालिक जो भी निवेश करता है उसे पूंजी कहा जाता है लेकिन निवेश का आर्थिक मूल्य होना चाहिए जैसे धन, मशीनरी, फर्नीचर, उपकरण, भूमि, भवन, उत्पाद, आदि। व्यवसाय शुरू करने और बंद करने में होने वाली लागत को भी पूंजी में जोड़ा जाता है।

पूंजी (Capital) क्या है? अर्थ, विशेषताएं और बहुत कुछ।

पूंजी क्या है? (What is Capital?)

पूंजी व्यवसाय में मालिक का निवेश है और यह व्यवसाय के लिए दायित्व होने के कारण इसे बैलेंस शीट में देनदारियां पक्ष में सबसे पहले दिखाया जाता है। पूंजी के लिए पूंजी खाता को तैयार किया जाता है और यदि शेष राशि सकारात्मक है तो पूंजी खाता का शेष हमेशा क्रेडिट होता है। मालिक व्यवसाय में जो भी निवेश करता है उसे पूंजी में जोड़ा जाता है और व्यवसाय से जो भी निकालता है उसे पूंजी से घटा दिया जाता है।

सामान्यतः पूंजी शब्द का प्रयोग एकल स्वामित्व व्यवसाय, साझेदारी व्यवसाय, एक व्यक्ति कंपनी आदि में किया जाता है तथा इन व्यवसायों में पूंजी के प्रबंधन के लिए पूंजी खाता तैयार किया जाता है तथा पूंजी को बैलेंस शीट में भी दर्शाया जाता है। निवेश, लाभ, ब्याज, वेतन आदि के कारण पूंजी में वृद्धि होती है तथा निकासी, हानि, भुगतान आदि के कारण पूंजी में कमी होती है।


पूंजी की विशेषताएं (Features of Capital)

पूंजी की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. आर्थिक मूल्य (Economic Value):

पूंजी का आर्थिक मूल्य होता है क्योंकि इसमें केवल वे चीजें शामिल होती हैं जिनका आर्थिक मूल्य होता है जैसे कि धन, भूमि, भवन, उत्पाद, मशीनरी, आदि। पूंजी को धन या धन समकक्षों में परिवर्तित किया जा सकता है और यह स्थिर नहीं रहता है क्योंकि यह समय समय पर बदलता रहता है।

2. निवेश (Investment):

पूंजी व्यवसाय के मालिक का निवेश है और पूंजी के बिना व्यवसाय शुरू नहीं किया जा सकता है। व्यवसाय के मालिक द्वारा व्यवसाय में जो भी निवेश किया जाता है, वह पूंजी में शामिल होता है और यह व्यवसाय के अस्तित्व तक बना रहता है। निवेश में केवल वही चीजें शामिल होती हैं जिनका आर्थिक मूल्य होता है

3. दायित्व (Liability):

पूंजी व्यवसाय के लिए एक दायित्व है क्योंकि व्यवसाय को पूंजी वापस करनी होती है और जब तक व्यवसाय पूंजी वापस नहीं करता, तब तक व्यवसाय के लिए दायित्व बना रहता है। कई मामलों में, व्यवसाय को पूंजी पर ब्याज भी देना पड़ता है यदि निवेश के समय ऐसी कोई चीज होती है।

4. बैलेंस शीट पर दर्ज (Shown on the Balance Sheet):

पूंजी को बैलेंस शीट पर दिखाया या दर्ज किया जाता है क्योंकि यह व्यवसाय के लिए एक दायित्व है। पूंजी को बैलेंस शीट के देयता पक्ष में सबसे पहले दिखाया जाता है। व्यवसाय में पूंजी की राशि को प्राप्त करने के लिए देयताओं को संपत्तियों से घटाया जाता है। पूंजी और देनदारियां हमेशा संपत्तियों के बराबर होती हैं।

संपत्ति – देनदारी = पूंजी

5. अस्थिरता (Fluctuation):

पूंजी हमेशा स्थिर नहीं रहता है, यह समय-समय पर बदलता रहता है क्योंकि पूंजी पर कई चीजें असर डालती हैं जैसे निवेश, लाभ, हानि, निकासी, वेतन, ब्याज आदि। जब भी निवेश, ब्याज, लाभ आदि होगा तो पूंजी बढ़ेगा और जब भी निकासी, ब्याज, हानि आदि होगा तो पूंजी घटेगा।


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QNA/FAQ

Q1. पूंजी क्या है?

Ans: पूंजी व्यवसाय में मालिक का निवेश है।

Q2. क्या पूंजी एक निवेश है?

Ans: हां, पूंजी एक निवेश है।

Q3. क्या पूंजी को बैलेंस शीट पर दिखाया जाता है?

Ans: हां, पूंजी को बैलेंस शीट पर दिखाया जाता है।

Q4. पूंजी का सूत्र लिखिए।

Ans: संपत्ति – देनदारी = पूंजी

Q5. क्या पूंजी एक दायित्व है?

Ans: हां, पूंजी एक दायित्व है।

Q6. पूंजी की विशेषताएं लिखिए।

Ans: पूंजी की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1. पूंजी का आर्थिक मूल्य होता है।
2. पूंजी को पैसे में या पैसे के बराबर में बदला जा सकता है।
3. पूंजी मालिक के लिए एक निवेश है।
4. पूंजी व्यवसाय की देनदारी है।
5. पूंजी को बैलेंस शीट पर दिखाया जाता है।
6. पूंजी को बैलेंस शीट पर देनदारी पक्ष के अंतर्गत दिखाया जाता है।
7. पूंजी स्थिर नहीं है।
8. पूंजी व्यवसाय शुरू करने में मदद करता है।
9. पूंजी व्यवसाय संचालित करने में मदद करता है।
10. पूंजी पर ब्याज लागू हो सकता है।

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